आज़ादी
ढूँढता फिरता है
हर शख्स यहाँ
हम तो चाहते हैं
कि कोई कैद कर ले हमें..
बस शर्त इतनी है
कि जंज़ीरें ज़ुल्फ़ों की हों
गिरफ्त बाहों की
पिंजरा दिल का हो
निगरानी निगाहों की
सलाखें मोहोब्बत की हों
हथकड़ी अदाओं की...
चाहत के निवाले मिलें,
हसीन होंठो के जाम,
आगोश की चार दीवारी में
बीतें सुबह शाम
सज़ा हो चाहना उसे
रहे जब तक श्वास
बस कुछ ऐसा मिले
सश्रम कारावास..
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