अल्बर्ट आइंस्टीन के कमरे में लगी दो तस्वीरों में से एक महात्मा गांधी की ही क्यों थी?
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वैष्णव जन तो तेने कहिये जे पीड पराई जाणे रे,
पर दु:खे उपकार करे तोये मन अभिमान न आणे रे ।।-
मैं उस कवि पर मुग्ध हूँ जिसने यह कल्पना की होगी कि पृथ्वी शेषनाग के फन पर टिकी है। सैकड़ो साल पहले जब न पृथ्वी के घूमने का रहस्य पता था न ही उस रहस्यमयी जीव के बारे में कुछ ख़ास पता था तो यह कल्पना कवि के जिज्ञासु मन की ख़ूबसूरत उपज थी।
समस्या उन मूर्खों की है जिन्होंने रहस्यों का पता चलने के बाद भी इस कल्पना को वास्तविक माना।-
दे दी हमें आज़ादी बिना खड्ग बिना ढाल
साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल
भाई गाना सुनो enjoy करो
सच्चाई इसके विपरित है
आज़ादी हमें दिलाने वाली आज़ाद हिन्द सेना
का जिक्र हम क्यों नहीं करते
क्यों नहीं कहते कि
ए बोस साहब आपने जो कहा
कर दिखाया
हम तो इतने अभागे हम
अन्तिम संस्कार भी नहीं कर पाए
आपने 60,000 सैनिकों को एक जुट किया
26,000 ने शहादत दी
हम तो इतने अभागे उनके नाम भी नहीं जानते
हम तो गांधी वादी गांधी भक्त हो गए
सत्य को जाने बिना उनके संग हो गए
हम तो इतने अभागे उन्हें राष्ट्र पिता मान बैठे
असली आज़ादी के परवानों को भुला बैठे
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मन में उदासी छाई
बापू ने थी गोली खाई
दो व्यक्ति की थी लड़ाई
सत्ता किसे मिले भाई
पिता जिसने नाम दिया
पिता ने भी वह काम किया
अखंड भारत को तोड़ दिया
दो बेटों में बांट दिया
नाम उसे हिंदू मुस्लिम बना दिया
बापू ने क्या काम किया
कितने घर बार उजड़ गया
लोग हुए पराए जो कल थे एक दूजे के भाई भाई
सुख दुख में जो साथ सदा
मनाते त्यौहार साथ सदा
गोझिया सेवई साथ थी खाई
आज खून के प्यासे हैं दोनों भाई
चारों तरफ हाहाकार था
धर्म का नाम था
नहीं थी ऐसी कोई लड़ाई
बस सत्ता की बात थी भाई
तब बापू ने अहिंसा का पाठ पढ़ाई
चुप रहो हिंदू भाई
करने दो अत्याचार वह है तुम्हारे भाई
बलात्कार का नाम ना लो क्या विधवा क्या बच्चे क्या बहु क्या बूढ़ी मां सबने थी लाज गवाई
छोड़ा सब ने महले अटारी
बच्चे हुए अनाथ रो रही विधवा बिचारी
चारों तरफ मचा है हाहाकार
लूटपाट की है ऐसा मारामारी
बापू के बेटों की थी बस लड़ाई
आज दे लो उस वीर को सब गाली
जिसने दिल पे पत्थर रखकर मारी थी बापू को गोली
सुन रहा है आज भी वह गाली
अब तो कर दो आजाद
उसका अदालत का अंतिम बयान
ना समझे कोई उस वीर को
जिसने सब की लाज बचाई...
ऐसे पिता को प्रणाम
दो चाहते बेटे को दिया भारत और पाकिस्तान
ऐसे पिता को प्रणाम
ऐसे पिता को प्रणाम......-
कोई भी कार्य तब तक असम्भव लगता है
जब तक उस पर सम्भव प्रयास न किया जाए-
सत्यमेव जयते कह गए वो,पर झूठ का बोलबाला है
आजाद भारत कर गए वो,पर गुलामी ने डेरा डाला है
बेटी आजाद घूम सके जहां,ऐसी वो एक सड़क बतलाओ
बच्चें सपने साकार कर सके,ऐसा गरीब का घर बतलाओ
हर साल होगी गांधी जयंती,पर रामराज्य कब साकार होगा
जातिवाद की ना जंजीरें होंगी,बेटियों का ना बलात्कार होगा-
ये दुनिया है, यहाँ
यहाँ सबकी अपनी अपनी जि़न्दगी है।कुछ कहेंगे तो, हम बुरे बन जाते हैं।हम खुद अच्छे रहें,अच्छे कर्म करें तो,दुनिया खूबसूरत लगेगी,दुनिया को हम नहीं बदल सकते,सभी को हम खुश नहीं कर सकते हमारे विचार सभी को पसन्द आए ये भी जरूरी नहीं। दुनिया से अलग मेरी खुद की भी एक दुनिया है।उसी में खुश रहती हूँ ,दिल को जो खुशी दे वही करती हूँ। गांधी जी के सिद्धान्त सभी को पसन्द नहीं आते इसलिए उन्हें आज के दिन मार दिया..था। हे राम..ये कैसी दुनिया है ?-