भूली बिसरी गलियां, आज फिर याद आई है, भूली बिसरी कुछ यादें साथ लाई है, जिनसे नाता तोड चुके हम, ऐसे कुछ लम्हे फिर से ताज़ा हो आई है, जो गलियां कभी गुलज़ार हुआ करती थी, अब हमें नागवार गुज़री है, क्या कहें कि वो यादें , वो लम्हें, अब मुझे काटने को दौड़ती हैं।