महक जाऊं तेरी जिंदगी के हर खुशनुमा लम्हे में,
काश, मैं तेरे हाथों में मेहंदी सा रचा-बसा होता!
धड़क जाता मेरा दिल तेरे आने की आहट से ही,
काश, मैं तेरे पैरों में पायल की सी झंकार होता!
खनकता रहता मैं तेरे दिल मे हर पल हर लम्हा,
काश, बन के चूड़ियाँ मैं, तेरी कलाई में होता!
चमकता मैं चाँद की तरह अमावस की रात में भी,
काश, बन के काजल तेरी आँखों मे समाया होता!
खुशबू की तरह बिखर जाऊं तेरी हर मुस्कुराहट में,
काश, बन के गजरा मैं, तेरे बालों में इतराया होता!
बन के सूरज दमकता मैं ओज सा तेरे तन-मन मे,
काश, मैं तेरे माथे की सुर्ख दमकती बिंदी होता!
बना लूँ तुमको जन्म जन्मांतर का जीवनसाथी,
काश, मैं तेरी मांग का अमर सुहाग सिंदूर होता!
__राज सोनी-
मैं तेरे बालों का वो गजरा बनना चाहता हूं,
जो लगने से पहले तेरे लबों को चूमना चाहता हूँ..
मैं तेरी साड़ी का वो पिन बनना चाहता हूं,
जो लगने से पहले तेरे होठों से दबना चाहता हूँ..
मैं तेरे हसीन चेहरे का वो मुस्कान बनना चाहता हूँ,
जिससे हो तेरी खुशियां दोगुनी, मैं वो बरसात बनना चाहता हूँ..
मैं तुम्हारे लड़खड़ाते हुए क़दमो को थामना चाहता हूँ,
ज़िंदगी के हसीन लम्हों में तेरे साथ चलना चाहता हूं..!-
मैं इस जग की रीत रिवाज ना जानूं
कभी मैं आंखों का काजल
तो कभी तुम्हें जुड़े का गजरा बनाऊ
छोड़ सारे भरम कोई भेद ना मानूं
चुड़े की खन खन में तो
तुम्हें कभी अपने बिंदिया में चमकाऊं
ना कोई रस्में ना कोई कसमें मानूं
नाक की नथ में तुमको
तो कभी तुम्हें अपने कानों के झुमके मे पाऊ
ना भाये बंधन मुझे ना इसे मैं जानूं
कभी माथ के टीकें में
तो कभी तुम्हें मांग के सिन्दूर में सजाऊ
-
यह आसमाँ क्यों है, सुरमई-सुरमई सा
तुमने अपना आँचल, लहराया है क्या
फ़ज़ा में घुली है महक, भीनी-भीनी सी
तुमने बालों में गजरा, लगाया है क्या
यूँ तो हो सकता है, बेईमान मौसम का
झूठा फ़रेबी सा, यह तिलिस्म कोई
पर आ रही है सदा, ढूँढती-पुकारती मुझे
तुमने अपना कँगन, खनकाया है क्या
- साकेत गर्ग 'सागा'-
👰🏼तेरी जुल्फें घनेरी काली घटा,🌧️
🙋🏻♂️मैं सुंदर सजता गजरा हूं...🤗
😘तेरी हिरनी जैसी👀आंखें हैं,😌
💚मैं उस पर लगता कजरा हूं...🥰-
देख तेरे बालों के लिए गजरा
और आंखों के लिए काजल
लेकर आया हूँ।।
अगर हो इजाज़त तो
पहना दूं तुम्हें ..
तेरे माथे की बिंदी,हांथों का
कंगन और पाँव के लिए
पायल लेकर आया हूँ।।-
मेरे दिए तोहफों को पैसों मे समेटा ना करो,
गजरा बाँधो पर मेरा गुलाब फेका ना करो,
जाना, तुम कभी बेतरतीब हालात मे भी मिलो
रोज अदा कर चेहरा आईने मे देखा ना करो।
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हुस्न-ए-ख़ुमारी का आलम क्या पूछते हो ।
गजरा, चूड़ी, काजल, बंदी, उफ्फ्फ तुम क्या पूछते हो-
तेरे बालों में लगा फूल जैसे महादेव के सिर पे चाँद है
और तेरे माथे की बिंदिया जैसे उस चाँद की है चांदनी..!!-