QUOTES ON #खोता

#खोता quotes

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17 JUL 2020 AT 18:31

प्राचीनकाल से लेकर अब तक शिक्षा में होती आ रही है वृद्धि अपार ,
वृद्धि तो हुई शिक्षा में परंतु धीरे-धीरे घट रहा उसके स्तर का विस्तार ;

खो रहा प्यारा बचपन, बोझ बनकर लटकती शिक्षा बच्चों के कंधों पर,
व्यवहारिक शिक्षा कहीं पीछे छूट रही जोर दे रहे बस रटन्त पद्धति पर;

कहतेे जिसे हम शिक्षा का मंदिर वहीं हो रहा आज शिक्षा का व्यापार,
मोटी-तकड़ी भरकर फीस ट्यूशन लगाने को सभी हैं विवश-लाचार;

शिक्षा पद्धति बनती जाए अंग्रेजी भूल रहे अपनी भाषा हिंदी का ज्ञान ,
अपने ही देश हिंदुस्तान में हो रहा अपनी मातृभाषा हिंदी का अपमान ,

शिक्षा की व्यापक जटिलताओं से हर बच्चा मानसिक तनाव झेल रहा,
ग्रहण कर उच्चतम शिक्षा युवा घर बैठ़ा बेरोजगारी की मार झेल रहा।।

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16 MAR 2017 AT 13:18

तेरी ही 'याद' में खोता रहा,
सोता रहा मैं....सोता रहा।
ना कोई 'काम' हुआ,
ना कोई 'धाम' हुआ,
जो भी हुआ 'सरेआम' हुआ।
बन्दा था मैं भी हृष्ट-पुष्ट,
अब चूसा हुआ 'आम' हुआ।
तुझे कभी ना थी मेरी फ़िक्र,
आज तक नहीं किया मेरा 'ज़िक्र',
मैं ही था 'दीवाना' जो परेशान हुआ।
दर-दर भटकता रहता हूँ अब,
मिलेगा मेरा साहिल मुझे कब,
अब तो माथे पर भी 'पागल' निशान हुआ।

ना कोई 'काम' हुआ, ना कोई 'धाम' हुआ,
जो भी हुआ 'सरेआम' हुआ..
- साकेत गर्ग

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14 MAR 2021 AT 16:17

अपने सपनो
का भार,
अपने बच्चो पर
ना लादे....
उन्हें उनके हिस्से की,
मेहनत करने दे,
खुल कर उनको भी,
मुस्कुराने दे,
उन्हें भी उनका बचपन,
जीने दे......
(Read in caption)

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10 JUN 2017 AT 13:37


जो औरों के लिए हो क़ुर्बान ऐसा नेता अब कहाँ होता है,
जनता भूखी मरती है, पर नेता अपना पेट भर के सोता है।।

पाँच साल के लिए हम है चुनते, फिर पाँच साल ना सुनता है,
हर चुनाव से पहले यह, अपना काला मुखौटा धोता है।।

बहकावे में आ जाती है, बेवकूफ़ भी बन जाती है जनता,
पछतावे की आग में दादा क्या पोता भी संग - संग रोता है।।

जानना ही है तो जानने की कोशिश इतनी करो तुम नेताओं,
कि वादा पूरा ना होने पर ये इंसान अपना सब्र क्यों खोता है।।


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19 FEB 2022 AT 12:23

बीते दिनों को याद कर, अब मैं रोता नही,
अपने दिल का सुकूँ-ओ-चैन अब खोता नही. — % &

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25 MAY 2020 AT 16:11

खोता ही जा रहा हूं मैं
अपने ही ख्यालों के समंदर में
डर लगता है डूब ना जाऊं कहीं।

तलाश है मुझे बरसों से खुद की
अधूरी सी ज़िन्दगी में अधूरा सा मैं
बस चलता ही जा रहा हूं
लहरों की तरह अनंत सी राहों पर।

खुद में ही गुम सा था कहीं
तलाशू तो तलाशू कहां मैं
उलझ सा गया हूं खुद के ही सवालों में।

तलाश किस की थी इस बात से मैं था अंजान
तलाशने निकला था शायद जिसे वो था वजूद मेरा
आंखे करता हूं बंद जब कभी
दिखता है अक्स उसका मुझमें ही।

तलाश रहा था बाहर जिसे
छूपा बैठा है अंदर वो तो मेरे ही।

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22 NOV 2019 AT 12:40

परत सी उदासी की सभी पे छाई है
क्यूं बेबसी की स्याही सी दिलों में अाई है
नहीं किसी को गरज किसी के पैसे की
एक आस एक उम्मीद अपनों के पास आने की
क्या कुछ ज्यादा कीमत लगाई है।

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20 SEP 2019 AT 23:09

हर वक्त, हर ओर,
बिना वजह उसकी
खनकती किलकारियाँ,
खामोशी से विदा हो गई है,
समृद्धि के स्वामी हमसब
बस पास हमारे,समय नहीं है,
इसलिए समय से पहले
बच्ची बचपन से जुदा हो गई हैं।

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मेरी सोच का दायरा ही शायद छोटा रहा
जहां समझा पा रहा "राजू" वहीं खोता रहा ।।

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30 JUL 2020 AT 11:05

में क्यों तेरे ख्यालो में खोता रहुँ ।

पागल नहीं हूँ में जो हर पल तेरे लिए रोता रहुँ !

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