पीना है नजरों का जाम
मोहब्बत बेहद करनी है
सुनो!
मुझे आज हद करनी है।
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हिंदी कैसे संवरेगी, इक दिन हो जब खोज
"राजू" चिंता सच में तो, दिवस बने यह रोज।
कामकाज में जब लगे, होने यह उपयोग
हिंदी तब ही संवरेगी, जागेंगे जब लोग।-
आँसुओं की अपनी आवाज होगी
तुम सुन सको तो बात होगी।
मुस्कुराता रहा गर पहाड़ सा मैं
गमों की निश्चित ही मात होगी।
तस्वीर तेरी दिखायेगी रस्ता
घनी अंधेरी जब रात होगी।
पीता रहूं चाय यादों की तेरी
झमाझम दिनभर बरसात होगी।
मुसाफ़िर बने हम राहों की तेरे
बताओ फिर कब मुलाकात होगी।
महक "राजू" खुद ही महक पड़ेगी
गांव की मेरे जब बात होगी।-
हमारा पापो के दाज्यू ढोई-ढोई बैर
हमारा पहाड़ दरकन लाग्यान ....
हवा पानी फल फूल किनै दी उनुअलै
भलि कै खकोली दिया पहाड़ हामुळे
कर्म हमारा दाज्यू फरकन लाग्यान
हमारा पहाड़ दरकन लाग्यान ....
कैले निकालि ढुङ्गा, कवै लिगो बजरी
देखि हाम चुप रयां, हाम रयां पसरी
रुख डाला बौट लै हडपन लाग्यान
हमारा पहाड़ दरकन लाग्यान ....
जौ बाटो गंगा ज्यू को, घेरि बनाया घर
चुमास बगा लिगै, किछयो और तर
जानवर पंछी सब तडपन लाग्यान
हमारा पहाड़ दरकन लाग्यान ....
सब हाम सी रयां, छुं हाम नीन मे
नै पांच में पचास मे, नै हाम तीन मे
"राजू" पहाड़ तरसन लाग्यान
हमारा पहाड़ दरकन लाग्यान ....
© राजू पाण्डेय
ग्राम - पो. बगोटी (चम्पावत)
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गर खबर होती तेरे आने की, तुम्हें एक नजर देख लेते
नूर तेरी नजरों का "राजू" अपनी नयनों में समेट लेते।-
बहुत दिनों बाद मुस्कुराहट आयी चेहरे पे
गोल गप्पे की दुकान में वो मिल गये...☺️-
एक दोस्त वो सब पर भारी
एक दूजे हों हम हितकारी
एक ने तारा राम बन जग से
एक केवट बन सरयू तारी।-
जो छुपा लूँ तुझसे है ऐसी कोई बात नहीं
ख्वाबों में न आये तू ऐसी कोई रात नहीं।-
मुझे जरूरत है थोड़ा वक्त दे जाना
आना जरूर चाहे देर से ही आना।
तेरी मुस्कुराहट का दीदार करना है
है तेरे हाथ को अपने हाथ में लाना।
रात तेरी याद में चांद को ताकता हूँ
मुझे भा रहा अब चकोर बन जाना।
जुल्फों को गिरा देना मेरे कांधे पे
मेरे दिल को भायेगा यूँ पास आना।
जन्मों की चाह तुझसे मिलना "राजू"
आना जरूर चाहे देर से ही आना।-