अब तेरे ही "नाम" से जानते हैं लोग हमें
हमारा" वजूद "तो "सेहरे"की" खूशबू "में "फना" हो गया-
जिंदगी ने फिर से लाकर उसी मोड़ पे खड़ा कर दिया
जहाँ से तेरी मेरी दोस्ती का सिलसिला शुरू हुआ था
हर वो जगह आज भी तेरी यादों की खुशबू से महक उठा हैं
आज फिर से तुमने अपनी यादों की चासनी में लपेट लिया हैं
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एक रोज़ तेरा आंगन भी
मेरे ठहाकों से गूंजेगा।
एक रोज़ तेरा आंगन भी
मेरी खुशबू से महकेगा।-
मै खुदा कि मोहलत पर धरती पर भेजा एक साधारण इंसान हूं, परिस्थितियां कैसी भी हो मुझे हर परिस्थिति से डटकर लड़ना होगा
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गुलाब तो हमें आज भी बहुत पसंद है
इसकी खुशबू कभी जहन से जाने वाली भी नहीं जनाब
और हम जाने देना भी नहीं चाहते उस खूशबू को
क्यूंकि वही तो एक वजह है
हमारे रूखे होठों पे नरमाहट भरी मुस्कान की....-
लगा लो,और चार लोगो से दिल,
पर हम जैसा कोई दिलदार नहीं होता..
बागिया मे तो हजारों फ़ूल मिलते हैं शायरा,
पर हर फ़ूल खूशबूदार नहीं होता...
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✍️🎀🐾"फूलों ने भौंरों की ज़िन्दगी संवारा --- दान पुण्य" 🐾🎀
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हुआ नहीं था सांझ अभी तो था ही सबेरे।
करके भौंरे गुणगान समां में जान बिखेरे!
व्यस्त दिखे वे आज उन्हें कई फूल थे घेरे!
चकित रह गए इंसान, रहे इर्दगिर्द जो मेरे!
🍇...🙌...🍎
भौंरे जो थे परेशान उन्हें रसपान था करना!
आ गई उनमें जान, लगे मुस्कान बिखरना।
फूलों का यह दान बना सम्मान था उनका।
बची जिंदगी आज बना वरदान था उनका।
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राह खड़े घंटों इंतज़ार करना क्या कम था!
फोकट में मिला उन्हें भोजन वह अहम था।
देकर अद्भुत दान, बनकर भूखों का सहारा।
आज इन फूलों ने भौंरों की ज़िन्दगी संवारा।-
खुशबू का पीछा करते-करते,
हम तो फूलों के बाग में पहुँच गए,
जब हमनें गुलाब को तोड़ना चाहा,
तेरी बेवफाई के किस्से याद आ गए।।-
जिन फूलों की खुशबू तेरे आंगन में नहीं होती,
वहाँ तो भंवरे भी मंड़राने से बहुत डरते हैं..-
जिंदगी के सफर में उनकी यादों का ..!!
खुशबू नुमा दरिया इस कदर भरा था ..!!
कि' कहीं और डूबने की नौबत फिर कहां आई..!!-