कमाल नजरों का था या जादूगरी थी बातों में इन बातों को जब तक हम समझ पाते तब तक बह चुके थे जज्बातों में ये बात अब तक मैं समझ ही नहीं पायी कमाल नजरों का था या जादूगरी थी बातों में
चंद इंच के कागज पर मैं कितनी बातें लिखूं आंखें नम कर देने वाली कितनी रातें लिखूं पहर का जो बस एक शब्द बनाओ तो भी पन्ना कम ही पड़ेगा जो सोचूं अगर तो समय ना बचेगा