खुशामदीद,खुशामदीद,खुशामदीद
लो फिर आ गया वही ख़लिश दिल में...-
तू क्यूं रोएगी मेरे खातिर...
फासले सारे गुलाम के है!
दिन में तुझे 100 बार याद करते है...
पासवर्ड सारे तेरे नाम के है!
बेदखल कर ही दिया मुझे तो क्या हुआ अब जा...
मिन्नते बंदिशे कोशिशें साजिशे अब सब मेरे नाम के है!
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अब वक़्त हो गया सोने का,कुछ पाने का कुछ खोने का।
नींद ने गहरा जाल बिछाया, चलो देखें सपने में आज कौन आया।
शुभ रात्रि-
तू मुझे आंखों में ढूँढते हो,
मैं तेरे दिल में रहतीं हूँ।
तू दिल पे हाथ रखकर तो देख,
मैं वही धड़कती हूँ।।-
खुशामदीद ऐ वक्त के फरिश्ते,
बदल जाते हो वक्त वक्त पर जैसे दुनिया के रिश्ते।।
धागे उलझ उलझ हैं जाते जितना भी सुलझाओ,
उम्र सारी यूं ही गुज़र जाती है जूते घिसते घिसते।।-
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नहीं है मुझें हर्फ़ की पेशगी और तवज्जों का सलीका,
बातें परोसता हूँ अपने दिल की, कोई शायरी करना नहीं सीखा।-
शीशे के सामने खड़े होकर,
अक्सर में तुझे खुद में ढूंढता हूँ।
तू जिंदा है क्या अब भी इन् आंखों में,
बस यही में खुद में ढूंढता हूँ।
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