Arunanksha   (©Arunanksha)
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Joined 6 April 2020


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Joined 6 April 2020
2 NOV 2023 AT 21:34

"सत्य बनाम असत्य"
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असत्य चाहे जितना भी विकराल बन खड़ा होगा,
निश्चय ही एकदिन वो सत्य के पैरों तले पड़ा होगा,
चाहे हो गगन में काले मेघ या भीषण झंझावात,
असत्य न रोक सकेगी होने से सत्य का प्रभात,
असत्य से लिपटी हुई है असाध्य रोग संग झूठी माया,
इसके मलिन जुड़ाव से किसी का विस्तार ना हो पाया,
खुशी क्षणिक ही होगी जिसका हो असत्य आधार,
गगन के सघन से भी अधिक है तृण सत्य का भार,
जिसने भी जीवन की नाव खेई है असत्य के पतवार से,
कम्बख़्त वो नगण्य है मुक़ाबले तृण सत्य के विस्तार से,
असत्य में अनवरत कोलाहल तो सत्य में विश्राम है,
सत कोटि रावण के मुकाबले अकेले अपने श्री राम है।

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13 OCT 2023 AT 7:33

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अथक परिश्रम के बाद ही मिलती है जीत,
सफल होने के लिए धरा पर यही एकल रीत

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29 SEP 2023 AT 0:14

"आज के परिवार"
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बिखर रहें हैं परिवार अदद छोटी सी बात पर,
अब सुलझते नही गुत्थियां अनुभवों के खाट पर,
आज के रिश्ते पनपने से पहले ही मिट्टी में मिल रहें हैं,
जिधर ही देखो उधर समाज के आशियाने जल रहें हैं,
जो कल थे घर के ताने बाने, आज बाज़ार में शर्मसार हैं,
समझ व कल्पना से भी परे लोगों के आज के व्यवहार हैं,
अपनत्व, समर्पण, स्नेह, त्याग, आत्मीयता सब त्यज कर,
अपने जड़ों में ही कुल्हाड़ी मार रहें हैं निर्लज्ज बेसुध हो कर,
यूँ ही चलन जारी रहा तो घरौंदों में बिखराव होगा,
ये हर आदमी के जिन्दगी पर गहरा घाव होगा,
अभी भी समय है स्वंय को सही पथ पर लाने का,
जो दरमियान बिखर रहा है उसे अपनत्व से सजाने का,
समय सब भर देगा जो अतीत ने ज़ख्म उकेरा है परिवार पर,
यह वही जगह है जहाँ जीत मिलती है अहम को हार कर।

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5 JUL 2023 AT 20:08

⚖️
अनवरत जारी है सफ़र अनुभवों के वास्ते,
यूँ ही महादेव बनाते रहेंगें कर्म के रास्ते।

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17 DEC 2022 AT 20:38

🍁
भले दुश्मनों के हाथ में मेरी ज़िन्दगी की जरीब हो,
मगर आरजू है कि ऐसे वक़्त में तू मेरे करीब हो।

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7 AUG 2022 AT 16:37

Happy_friendship_day
🤜🤛
यूँ कहूँ तो दोस्ती वो धागा है,
जिसके बिना ज़िन्दगी आधा है।

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1 JUL 2022 AT 13:16

चलो लौट चले...
🍁
चलो न लौट चलें फिर से उसी दौर में,
जहाँ दिन बीत जाता था धरपकड़ और शोर में।

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1 JUL 2022 AT 8:36

अनुभवी सफर.....
⚖️
अनुभव के सफ़र का यह एकमात्र पड़ाव है,
मेरे बदौलत कुछ नहीं ये तो महादेव का लगाव है।

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1 JUN 2022 AT 8:24

🍁
फटी चादरों से भी हमनें आसमान देखी है,
अपने आप सपनों में हमनें नया हिंदुस्तान देखी है,
यूँ हमनें कभी दोष नहीं दिया ख़ुदा को क़िस्मत के लिए,
हमनें तंगहाली के आंच में ही सपनों की पैदावार सेंकी है,
यूँ मुफ़लिसी के चादर के फटे रहने से कुछ नहीं होता........,
इन्ही फटी चादरों से हमनें आसमान देखी है...........................।

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27 MAY 2022 AT 19:24

🍁
ज़िन्दगी से कहना कि तूने मुझे हर मोड़ पर ठगा है,
उजाड़कर हर तानाबाना..कहता है कि तू मेरा सगा है।

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