आ चल तुझे फिर से याद करते हैं,
दोस्ती में बिताए - उन लम्हों को याद करते हैं।
रब से ये फरियाद करते हैं,
दुआओं में जिंदा रहे हमारी दोस्ती
चल आज एक ऐसे दोस्त को याद करते हैं!!
(तो शुरुआत यहाँ से करते हैं--)
छोटी-छोटी बातों पे तेरी कसमें खिलना,
पेट भरा है मोटू, यह कर मेरा खाने से मुकर जाना।
तेरे दोस्तों का नाम लेकर तुझे चिढ़न।
ए मेरे दोस्त!! लौट कर फिर आना।।
तेरे नखरे से लड़कियों को भी मात दे देना,
तेरी जिद के आगे हम सबका घुटने टेक देना।
अपनी नादानियों से हम सबको हँसाना,
ए मेरे दोस्त!! लौट कर फिर आना।।
तेरी गलतियों पे गुस्सा आना,
तो अपनी बकवास लॉजिक से सबको मना जाना।
फिर अपनी बेतुकी बातें सबको समझना,
ए मेरे दोस्त!! अगर वक्त हो तो लौट कर फिर आना।।
तुम लौट कर जरूर आना,
हम फिर से उसी दुनियाँ में जायेंगे।
थोड़ा तुम मुझे तो थोड़ा हम तुम्हें पकायेंगे,
मस्ती और माहौल के बीच पुराने पल फिर से जी पाएंगे।।
तुम्हारी दोस्त!!
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Busy to making a best version of myself
Mere lafzon ko mujhe mt relate kijiye.. Qki... read more
तू अर्ज भी था , तू मर्ज भी था।
तू दर्द भी था, तुर मरहम भी था।
जब तू मेरे साथ था तो तुझे खोने से डरती थी।
तू मेरे पास था तो तुझसे दूर होने से डरती थी।।
लेकिन ,
अब जब तुम मेरे साथ नहीं हो।
ओ प्यारी सी मुस्कान के साथ पास नहीं हो।
तेरे हाथों में मेरा हाथ नहीं हैं।
मेरे कानों में तेरे झुमके का साथ नहीं है।
मेरी घड़ी से तेरे समय की मुलाकात नहीं है।
वो तेरे कॉल का भी अब मुझे इंतज़ार नहीं हैं।
मैं रूठ गई सदा के लिए तुम्हे इसका भी आहसह नहीं है, आज मुझे मानने वाले तेरे वो हाथ नहीं हैं।
ना मेरे और ना ही तेरे दिलों में वो पुराने जज़्बात नहीं हैं।
अब तेरी दुआओं में मेरा नाम नहीं है,
बन गए अजनबी , तुझसे अब मेरी कोई जान पहचान नहीं है।
तेरे रास्ते अब मेरी गलियों की ओर नहीं है,
मेरी पयालो में अब वो शोर नहीं हैं।
दिलों के जोड़न वाले वो रास्ते अब टूट गए हैं।
प्यार का जलता दीपक भी अब बुझ गए हैं, बुझ गए है।।
____shweta😊-
दरार तो पहले ही पड़ गई थी,
बस टूट कर बिखरना बाकी था।
वो ज़ख्म तो पहले ही दे ही चुके थे।
तो क्या बिखरने के बाद माफ़ी मल्हम लगाना काफी था?-
कभी नज़रे मिली तो मुस्कुरा दीजियेगा जनाब।
क्यों की शिकवा शिकायत का दौर तो
आपके जाने के साथ ही चला गया।।-
क्या तुम्हारे कानों तक जाती है ?
कानों से होते हुए,
क्या दिल को भी छू जाती हैं?
मीठी यादों की दुनिया जो बसाए थे हमने,
क्या आज भी याद आती हैं?
बोलो न!!!
क्या वे लम्हे तुम्हे भी उतना ही तड़पती हैं??-
कभी अंदर आकर देख,
कितने सपने संजोये है, इन आखों ने।
हर वक्त साथ ही तो रहतीं हूं
जैसे चकोर, चांदनी रातों में।
जैसे बरसते हैं बादल, बरसतों में।
जैसे रहते हैं भौरे , बागो में।-
लोग कहते हैं....
हाल- ए- दिल सुनने को।
हम उन्हें क्या बताएं,
जब कुछ रहा ही नहीं बताने को।।-
ना तुम गलत हो, लेकिन मैं भी हूं शायद सही।
माफ़ करना ..….
बस इतनी ही कहानी रहीं।।
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गुस्ताखी नज़रों ने की
घायाल बेचारा दिल हो गया।।
हमने तो केवल प्यार की
और खफा ज़माना हो गया।।-