...मुर्शदबस मैं तन्हा नहीं,तू भी आजकल मजबूर नजर आता है। -
...मुर्शदबस मैं तन्हा नहीं,तू भी आजकल मजबूर नजर आता है।
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..कोई कहता हैं,कि दिलचोट का फ़सादहै “मुर्शीद”कोई कहता है,‘कलेजे’में दर्द रहता है। -
..कोई कहता हैं,कि दिलचोट का फ़सादहै “मुर्शीद”कोई कहता है,‘कलेजे’में दर्द रहता है।
..मुर्शीद पहले घरों में कई कमरे हुआ करते थे।अब कमरे मेंकई घरहोनेलगे है। -
..मुर्शीद पहले घरों में कई कमरे हुआ करते थे।अब कमरे मेंकई घरहोनेलगे है।
....साहेबभीड़ से निकलिए,अब होश में आइए।मिलाइए नजर “कमली”खुद के जज़्बात से। -
....साहेबभीड़ से निकलिए,अब होश में आइए।मिलाइए नजर “कमली”खुद के जज़्बात से।
तमन्नाओं में उलझाया गया हूं,खिलौने दे कर बहलाया गया हूं। –@शाह अजीमाबादीरोज बुनता हूं ख्वाब रोज टूट जाता हैकमली कितनी बार आजमाया गया हूं। –@कमलीसुपुर्दें ख़ाक ही करना था मुझकोतो फिर काहे को नहलाया गया हूं। –@हाफिज जालंधरी -
तमन्नाओं में उलझाया गया हूं,खिलौने दे कर बहलाया गया हूं। –@शाह अजीमाबादीरोज बुनता हूं ख्वाब रोज टूट जाता हैकमली कितनी बार आजमाया गया हूं। –@कमलीसुपुर्दें ख़ाक ही करना था मुझकोतो फिर काहे को नहलाया गया हूं। –@हाफिज जालंधरी
...किसी की गुजरती नहीं है काली रात,किसी की जाता नहीं दिन तेरी दावेदारी में,“कमली” तू बताऔर किस–किस को लगा रक्खी है इसी उम्मीदवारी में। -
...किसी की गुजरती नहीं है काली रात,किसी की जाता नहीं दिन तेरी दावेदारी में,“कमली” तू बताऔर किस–किस को लगा रक्खी है इसी उम्मीदवारी में।
..सर्द रात भर फिर हिज्र का मौसमजिस को आना था,आया।लेकिन “कमली" वो ख़्वाब नहीं आया। -
..सर्द रात भर फिर हिज्र का मौसमजिस को आना था,आया।लेकिन “कमली" वो ख़्वाब नहीं आया।
ठठुरती सर्द के गलीचे खोलिए “चराग–ए–बदन"फिर वही शहर से इक आलम पनाह आयें है।–@कमली -
ठठुरती सर्द के गलीचे खोलिए “चराग–ए–बदन"फिर वही शहर से इक आलम पनाह आयें है।–@कमली
तू इस तरह से मिरे साथ बेवफ़ाई करकि तेरे बा'द मुझे कोई बेवफ़ा न लगेl –@कैसर उल जाफरी -
तू इस तरह से मिरे साथ बेवफ़ाई करकि तेरे बा'द मुझे कोई बेवफ़ा न लगेl –@कैसर उल जाफरी
मैं नूर बनकर जमाने में फैल जाऊंगा.तुम आफताब से कीड़े निकलते रहना!–@राहत 🖤 -
मैं नूर बनकर जमाने में फैल जाऊंगा.तुम आफताब से कीड़े निकलते रहना!–@राहत 🖤