Kumar Kamlešh   (@कमली)
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Joined 16 November 2017


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Joined 16 November 2017
18 NOV 2024 AT 23:17

...मानो खत्म यूं हुआ
"जैसे"
सबकुछ शुरू हो रहा।

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18 NOV 2024 AT 22:57


...आजमाएं जाते है
"जुगनू"
चारदीवारी में हर रोज।
चले ही आते है
"फ़रिश्ते"
ये रातें को ओढ़कर।

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29 JUN 2023 AT 21:20

...मुर्शद
बस मैं तन्हा नहीं,
तू भी आजकल
मजबूर नजर आता है।

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13 MAY 2023 AT 17:43

..कोई कहता हैं,
कि दिल
चोट का फ़साद
है “मुर्शीद”
कोई कहता है,
‘कलेजे’
में दर्द रहता है।


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8 MAY 2023 AT 20:44

..मुर्शीद
पहले घरों में
कई
कमरे हुआ
करते थे।

अब कमरे में
कई घर
होने
लगे है।

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5 MAY 2023 AT 20:47

....साहेब
भीड़ से निकलिए,
अब होश में आइए।
मिलाइए नजर
“कमली”
खुद के जज़्बात से।

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13 JAN 2023 AT 20:14

तमन्नाओं में उलझाया गया हूं,
खिलौने दे कर बहलाया गया हूं।
–@शाह अजीमाबादी

रोज बुनता हूं ख्वाब रोज टूट जाता है
कमली कितनी बार आजमाया गया हूं।
–@कमली

सुपुर्दें ख़ाक ही करना था मुझको
तो फिर काहे को नहलाया गया हूं।
–@हाफिज जालंधरी

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5 JAN 2023 AT 0:48

...किसी की
गुजरती नहीं है काली रात,
किसी की
जाता नहीं दिन तेरी दावेदारी में,
“कमली” तू बता
और किस–किस को
लगा रक्खी है इसी उम्मीदवारी में।


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4 JAN 2023 AT 0:18

..सर्द रात भर
फिर हिज्र का मौसम
जिस को आना था,
आया।
लेकिन “कमली"
वो ख़्वाब नहीं आया।

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31 DEC 2022 AT 0:16

ठठुरती सर्द के गलीचे खोलिए “चराग–ए–बदन"
फिर वही शहर से इक आलम पनाह आयें है।

–@कमली

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