Shreyansh Agarwal   (द:सखुनपरवाज़)
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Joined 30 September 2019


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Joined 30 September 2019
15 FEB 2022 AT 21:29

"कद्र इंसान की...."

उसके ज़िन्दगी में आने से पहले
या
उसके जिंदगी से जाने के बाद ही होती है।— % &

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24 JAN 2022 AT 21:10

वो तरसाती रही,
हम तरसते रहे।

और ज़िन्दगी का तज़ुर्बा है जनाब,
कि मज़ा...

तरसने में ही है।

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10 JAN 2022 AT 22:27

I'm

Someone's


"Sometimes"

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25 DEC 2021 AT 21:41

इस्तक़बाल हम अपने इश्क़ का करते रह गए,
और वो हमसे पल दर पल दूरी बनाते चले गए।

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8 DEC 2021 AT 16:15

बेहतरीन चाहिए,
मगर खुदको बेहतर नही करना।

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8 DEC 2021 AT 16:13

चाहत बेहतरी की,
और
कदम गर्त की ओर।

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30 NOV 2021 AT 23:27

आंखों में झांक के देखोगे तो दर्द नज़र आएगा,
चेहरे की मुस्कुराहटों से तो अक्सर धोके ही हुए है।

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25 NOV 2021 AT 0:09

जिसकी आधी रात की बात में मैं नही,
उसके जीवन में, मैं कैसे हो सकता!!

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24 NOV 2021 AT 23:43

बहुत खुश हो ना जनाब!!
"आज" मुझे जला के।
बहुत रोओगे तुम जनाब,
"कल" मेरी मैय्यत पे आके।

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21 NOV 2021 AT 0:15

हर कोई जरूरी है साहब उसे!!
बस एक 'मैं' नही।

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