जीवन की इस डगर मे
व्यर्थ फिरता रहा मै इस सफ़र
पाने को बाकी था शायद कुछ
पर व्यर्थ ही चुनता गया मोती इस सफर मे
— % &-
Sometimes
No Solution for Pain,
Sometimes
No Remedy for Pain.
Some memories
You never forget,
Some people
You never want.
Sometimes
Not Easy to Handle yourself,
Sometimes
Not Easy to forgot things.
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शुरू कर दो गुफ़्तगू अंधेरों से
आजकल यूँ ही नहीं श्मशान में उजाले बहुत है...!-
हर मोड़ पर बदल जाते हैं ख्याल मेरे
ना जाने क्या हुआ है इन रास्तो को ...-
मेरी साँसों का कारवाँ बढ़ता गया ,
और मैं ये सफ़रनामा लिखता गया...
मेरी उम्मीदे जिंदगी से बढ़ती गयी ,
और मैं बेसब्र मुसाफिर बनता गया...
मेरे दिल पर चोटों का सिलसिला बढ़ता गया ,
और मैं अश्क़िया बनता गया...
मेरे तसव्वुर में तेरा आना बढ़ता गया,
और मैं ये तहरीर लिखता गया...
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नहीं मिटती है कुछ ख़लिश दिल की
ना जाने ये दिल कब पत्थर सा हुआ ...-
ख़्वाहिशो ने तय करा दिया इतना सफ़र
अब ख्वाहिश है बस ठहर जाने की...-
मोहब्बत बिकती है कैसे बाजारों मे,
लगा लो अंदाजा इस महीने में
नुकसान होने के वाबजूद भी
काफ़ी मुनाफ़ा है बुलंदियों पे
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ये वक़्त की साजिश है,
कभी मंज़िल को मुसाफिर ढूँढता है,
तो कभी मंज़िल मुसाफिर को ढूँढ़ती है...!-