तुम्हारी गैर मौजूदगी
धड़कन मेरी चुरा लेती है,
लुका-छिपी ये तेरी
मन मुरझाये देती है,
तुझसे जुड़ा ये रिश्ता
मैं गुनगुनाना चाहती हूँ,
गुम हुई मेरी शख्सियत
तुझमे खोना चाहती है"मीता"
खोल दे मन की खिड़कियों को
सुगन्धित हवा आना चाहती है!-
वो मुझे निहारती थी मुंडेर से
मैं ताकता उसे खिड़कियों से
और फिर धर्म की दीवार बीच में आ गई ||-
जैसे खिड़कियों को थोड़ा-सा आसमान चाहिए
इश्क़ वालों की फ़हरिस्त में मुझे भी अपना नाम चाहिए
~दीपा गेरा
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खिड़कियों से बार बार बाहर देख रही थी वो बूढ़ी माँ,
कही उसके बेटे का कोई तार आया तो नही।।-
खाली सड़को को अब खिड़कियों से
झाँकते तमाशागिन से हम!
फिजाओं में घुले जहर ने किस
दोराहे पर ला कर छोड़ा हैं!!
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आधी खुली खिडकियों से सहमे सवाल पूछते थे,
रहते थे बरसो से मिलके,क्यूँ आज बस्ती तोड़ते थे?
निशा-
हर खिड़की को
उसके हिस्से का
आसमान मिला।
पर
हर खिड़की का
आसमान
दूसरी खिड़की से
अलग रहा।
यह आसमान की सीमितता है
या फिर
खिड़कियों की....?
--सुनीता डी प्रसाद💐💐-