Madhaw Govind   (चैतन्य_चतुर्वेदी)
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शब्द ब्रह्म है,और ब्रह्म आपके मस्तिष्क में वास करते हैं। सावधानी आवश्यक है,सतर्कता भी।।
Joined 27 November 2019


शब्द ब्रह्म है,और ब्रह्म आपके मस्तिष्क में वास करते हैं। सावधानी आवश्यक है,सतर्कता भी।।
Joined 27 November 2019
1 JAN AT 0:00

Doors 🚪 closed 🔐
Prejudiced pre -position,

Distraction of division
Exposed explanation,

Rise to rivision
Inquisitive incision,

Pretention to the reason
Darkness to the vision

O ! Ho !
A firefly guides me to the moon,
the meaning and the mission.

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31 DEC 2023 AT 23:34

घुप्प अंधेरा
चकाचौंध रौशनी

असमर्थ आँखें

देख पाएं जो
बंद कमरे में खद्योत
और दिन में
काली - कलूटी रात

बाधाएं सैकड़ों
संभावनाएं हजार

निराश - हताश कमरे में
रौशन जुगनू
और उसका प्रमुदित प्रकाश!

अहा! उन्मीलन
जीवन, एक उल्लास ।।

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6 SEP 2023 AT 19:28

Could you love birds!

Could you hug trees!

Oh! Yeah!

You are really free!

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31 AUG 2023 AT 21:30

रक्षा का बंधन,बंधन की रक्षा है,
रिश्तों के त्योहारों में त्योहार यह सच्चा है
बचपन है युवापन है शौर्य है इसमें
बच्चा बूढ़ा है और बूढ़ा भी बच्चा है।।

रक्षा का बंधन, बंधन की रक्षा है।।— % &— % &

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14 MAY 2023 AT 16:55

Blame not, bloom!
Give damn not to everyone
Waiting is the doom!

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28 MAR 2023 AT 3:30

"रेलवे स्टेशन और आधी रात"

अंधेरे में भी
प्रकाश की एक पूरी परत है,

फड़फड़ाते
ट्यूब लाइट्स
अपने ही लय में संगीत सजाते
सीधे लटके पंखे

कोई औंधे लोहे की बेंच पर
कोई रद्दी अख़बार के सहारे
बेतरतीब लेटा हुआ है

खाली कूड़ेदानों में
चूहों की चहलकदमी
और आदमी के हल्के हाथ और मस्तिष्क
पटरियों को कचड़ों से सजाता और फिर लंबे जल्दी कदमों से
बचते हुए उन्हें करता पार

और हां तभी टिकट निरीक्षक महोदय ने
जगा कर उतार दिया है ट्रेन से
एक मजदूर को जो लौट रहा है घर
साल भर के बाद ये कहकर कि
सामान रखने की जगह, वह सो नहीं सकता।

और एक युवा एक काले पिलर के सहारे बैठ
पढ़ रहा है प्रतियोगिता दर्पण।

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28 MAR 2023 AT 2:59

"तो बात करूं"

कुछ ठहर के बात करो तो बात करूं।
सिर्फ़ तुम अपनी बात करो तो बात करूं।।

इंसानियत मर गई है ये तो सब कहते हैं आजकल
आदमियत अभी जिंदा है की बात करो तो बात करूं।।

गली का संकरा होना फिर खुली सड़क का मिलना
कुछ व्यावहारिक बात करो तो बात करूं।।

गज़ब की बात है नादान कोई नहीं रहा अब
सबको छोड़ बच्चों की बात करो तो बात करूं।।

चित को चैन नहीं है कि चांद नहीं दिखा आज
मेरे चंदा या चंदू की बात करो तो बात करूं।।

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30 JAN 2023 AT 1:58

छन के आती धूप में
तुम मेरे ख्वाबों के रूप में
बैठी हो
मेरे सांसों को हवा देती।

भस्म होता मेरा भ्रम
व्यक्त होता जीवन क्रम
साथ तुम
मेरे आशाओं को विश्वास देती।

काले - सफेद हर्फ रंगीन
हरा - भरा जमीन नवीन
कदम - कदम
तुम मुझे भव्यता ही भेंट देती।

आलिंगन तुम्हारा।
मेरा ब्रह्मांड सारा।।

#चैतन्य_चतुर्वेदी

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16 JUL 2022 AT 17:38

तुम ही धूप हो मेरी,तुम ही मेरी छांव हो।
तुम ही मेरी मनपसंद पहाड़ी गांव हो।।

बाग हो तुम ही मेरे विचारों के फूलों की,
पश्चाताप तुम ही हो मेरे गलतियों की भूलों की।
सब ठहर जाता है जब, तब तुम ही मेरी ठांव हो।।
तुम ही धूप......

मेरे रक्त में बहती वायु तुम ही,प्राण तुम,
समय के चाक पर चलती,आयु तुम ही,जान तुम।
आंधी - तूफान - बाढ़ से परे, तुम ही एक नाव हो।।
तुम ही धूप......

सुबह की सतरंगी किरणें तुमसे पाती नवजीवन,
तुम ही जरा,तुम ही बचपन,तुम ही मेरा नवयौवन।
जीवन- समुद्र मंथन से निर्गत,तुम अमृत सी भाव हो।।
तुम ही धूप......

तुम ही धूप हो मेरी,तुम ही मेरी छांव हो।
तुम ही मेरी मनपसंद पहाड़ी गांव हो।।

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16 JUL 2022 AT 17:24

तुम ही धूप हो मेरी,तुम ही मेरी छांव हो।
तुम ही मेरी मनपसंद पहाड़ी गांव हो।।

बाग हो तुम ही मेरे विचारों के फूलों की,
पश्चाताप तुम ही हो मेरे गलतियों की भूलों की।
सब ठहर जाता है जब, तब तुम ही मेरी ठांव हो।।
तुम ही धूप......

मेरे रक्त में बहती वायु तुम ही,प्राण तुम,
समय के चाक पर चलती,आयु तुम ही,जान तुम।
आंधी - तूफान - बाढ़ से परे, तुम ही एक नाव हो।।
तुम ही धूप......

सुबह की सतरंगी किरणें तुमसे पाती नवजीवन,
तुम ही जरा,तुम ही बचपन,तुम ही मेरा नवयौवन।
जीवन- समुद्र मंथन से निर्गत,तुम अमृत सी भाव हो।।
तुम ही धूप......

तुम ही धूप हो मेरी,तुम ही मेरी छांव हो।
तुम ही मेरी मनपसंद पहाड़ी गांव हो।।

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