Naina Turi Solanki  
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Joined 30 January 2018


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Joined 30 January 2018
23 AUG 2020 AT 16:46

मुल्क़ में कुछ परछाई अभी भी दिल लेके घूमती है,
जैसे ख्वाईशें अभी भी मिल जुलके दर्द झेलती है।

थोड़े जले अंगारे अभी भी राख हो के उड़ते फिरे यूँ,
कौन सुने उनकी, आज भी चांदनी खूब खिलती है।

है कैसे बेशर्म जलील होके भी रोकते रहते बारबार,
माने कौन उनकी एक?ये रोज जो नजर मिलती है।

ख़ौफ़ की चिनगारी रोज़ लोगोंमें भड़कती भले रहे,
है होंसले बुलन्द दिये से,अंधेरो में बाती जलती है।

गलियां है चारोओर मुसीबतों के बारूद से भरी,
लेकिन यकीन की आस से यूँ जिंदगी चलती है।

©निशा

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21 AUG 2020 AT 13:36

સાચવજો ફક્ત મુઠ્ઠીભર સ્નેહ છાંટયો છે,
તેમાં આયખા આખા નો આધાર વાટયો છે,
©નિશા

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20 AUG 2020 AT 22:17

क्या छुपा रहे हो!।
कबसे चुपचाप ऐसे,
मनमें ढ़ेर कर दिया है,
कौन सी बात दबाए हो,
ये दुनिया से है कि फिर,
ये खुद से धोखा देते हो,
कबतक छुपा पाओंगे ऐसे?
उम्र तक जी पाओंगे कैसे?
घूँट-घूँट के है ए ?
या फिर दम घूँट के!
कब तक चुप रह पाओंगे?
न कोई राह मिलेगी ,
नही किसीसे राय मिलेंगी,
क्या जिंदगी ऐसे ही झेलेंगी,
या फिर दम घूँटकर चलेंगी!
कुछ तो बोलो अपनेआप से ,
कुछ तो कहो क्या छुपा रहे हो?
©निशा

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15 AUG 2020 AT 23:19

શ્વાસ તારી ગુલામી હવે રોજ શું રાખવી,
હોય ઈચ્છા ભલે કાયમી,બોજ શું રાખવી.
રાખ આઝાદ સ્વપ્ન હવે આભને આંટવા,
મોતની બીકમાં દુરની મોજ શું રાખવી!
©નિશા

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11 AUG 2020 AT 14:58

કૃષ્ણ એટલે કંપન
કૃષ્ણ એટલે સ્પંદન
કૃષ્ણ એટલે નર્તન
કૃષ્ણ એટલે વર્તન
કૃષ્ણ એટલે જતન
કૃષ્ણ એટલે નમન
કૃષ્ણ એટલે ગમન
કૃષ્ણ એટલે જીવન
નિશા

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8 AUG 2020 AT 21:42

कोई बातों से, तो कोई जजबातों से मेल लेता है,
दो पल ले ले मज़ा,तमाम उम्र थोड़ी खेल लेता है!
चलो माना यकीन यूँही बंध आँखों से ही रजामंदी,
मगर खुली आँखे, तो फिर क्या कोई झेल लेता है?
©निशा

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7 AUG 2020 AT 13:21

પૂછયું હોત ના ચાહવાનું કારણ તો હજારો આપતી,
પણ ચાહવાનું કોઈ તે એક કારણ પૂછયું, ક્યાંથી આપતી!
©નિશા

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6 AUG 2020 AT 14:22

ये तन्हा रात हो सके तो मेरे ख़्वाबो का रफ़्फ़ु कर ले,
इस फटेहाल नींद से,अब मेरे दर्द की सिलाई कर ले।

© निशा

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6 AUG 2020 AT 14:14

क्यूँ हमे इतना सताते हो हाल-ए-दिल इबादत से,
हम भी तो कतारमें खड़े है तेरे दीदार को जमाने से।
©निशा

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5 AUG 2020 AT 16:50

કાગળની હોડીને પણ વરસાદથી વેર થઈ ગયું છે,
જ્યારથી બાળપણ ડીઝીટલમાં કેદ થઈ ગયું છે.

©નિશા

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