आकर्षण की विधि
विधिहीन रही
और विधिहीनता का
अपना ही
एक अलग आकर्षण है
कुछ चित्र बेरंग
ही भा गए।
कहानियों के दुखांत
सुखांत की अपेक्षा
अधिक स्मरणीय रहे।
डेस्डेमोना के सौंदर्य से अधिक
ओथेलो का
अनुताप से विकृत क्लांत मुख
अविस्मरणीय रहा।
तो क्या दुःख ने हमें
एक-दूसरे से जोड़े रखा!
हर कहीं तथ्य काम नहीं आए!
वर्जनाएँ
मस्तिष्क से अधिक
देह की रहीं
जबकि उत्कंठाएँ
बेलौस मस्तिष्क का
एक अनुपमेय शिल्प।।
--सुनीता डी प्रसाद💐💐
-
#परिवर्तनशीलता..
किसी भी भाषा की
नई से नई
पुरानी से पुरानी
पुस्तक में
प्रेम
बस प्रेम ही रहा।
प्रायः जो बदले
तो वे थे
पात्र और
पात्रों के नाम!
प्रेम ने यों
स्वयं ही प्रमाणित किया
कि वह
परिवर्तनशील नहीं
बल्कि है
बहुआयामी एवं
सर्वव्यापी।
तो बदलता
प्रेम नहीं
बदलते हैं
हम।
हमने
कभी सहर्ष
तो कभी विवशतापूर्वक
अवसर एवं
परिस्थिति अनुरूप
स्वयं को
भलीभाँति ढालना/बदलना सीखा।
शायद हमने
कुछ अधिक ही
सीख लिया !
--सुनीता डी प्रसाद💐💐-
कुछ दूर भी नहीं
कुछ पास भी नहीं
कुछ खोया भी नहीं
कुछ पाया भी नहीं
एक यात्रा रही
कई मोड़ आए
अनेक पड़ाव रहे
--सुनीता डी प्रसाद💐💐
-
#अनुभूति सदृश्य सृजन.....
जब अनेक रंगों में घुलकर
चित्र ले रहे होंगे
अपना अंतिम रूप।
जब पत्थरों की भावशून्यता पर
विजय पा रही होंगी
मूर्तिकार की
कल्पना सदृश्य भंगिमाएँ ।
जब भाव-भंगिमाओं और
घुँघरुओं की जुगलबंदी से
बाँध रही होगी, नृत्यांगना
नयनाभिराम दृश्यों की
एक संपूर्ण श्रंखला।
तब कहीं दूर,
घाटियाँ भेज रही होंगी
बादलों की लिखत में
नेहयुक्त पातियाँ।
आसमान
बरसा रहा होगा
स्नेहयुक्त जल।
तब
मैं तुम्हारे काँधे पर रख सिर
केवल महसूस करना चाहूँगी
प्रतिक्षण पूर्ण होतीं
इन 'असंख्य कविताएँ ' को।।
--सुनीता डी प्रसाद💐💐
-
#दूर, बहुत दूर.....
दूर, कहीं दूर
बहुत दूर
कुछ द्रवित हो रहा है
शायद प्रार्थनाएँ हैं
देवालयों से लौटी हुईं
पीठ पर अपने
अनसुने होने की पीड़ा
ढोती हुईं।
--सुनीता डी प्रसाद💐💐-
बहुत कुछ कह लिया है
तुमसे
बहुत कुछ कहना
अभी बाकी है।
अभी रहने दो
यों ही..
अपने कँधे पर
मेरा सिर।
क्योंकि...........
--सुनीता डी प्रसाद💐💐
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जब कहने के लिए कुछ नहीं होता। तब सोचने के लिए बहुत कुछ रहता है।
-
#बाकी है..
अतः
बाकी रखिए
इच्छाएँ, संभावनाएँ आशाएँ और प्रेम।
क्योंकि
प्रेम-प्रस्तावों को ठुकराना
आसान नहीं होता।।
--सुनीता डी प्रसाद💐💐
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हिस्से में जिनके
आईं प्रतीक्षाएँ
स्मृतियों को उन्होंने
बड़े सलीके से सहेजा।
--सुनीता डी प्रसाद💐💐-