ख़ता बस इतनी सी है, कि तुम गौर बहुत करते हो
गौर जो करते हो, तो किसी और पे क्यों करते हो।।-
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आज के इस सोशल मीडिया के दौर में,
जीते जी लोगों से ज्यादा
कीमत मरने वालों की
कम से कम एक दिन के लिए याद तो करते हैं।।
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मरकज़ी पहलू से हम भी ये ऐलान कर दे
बारीक हैं चांद अब ईद हो जाने दो
सालों बाद ही सही,
उसके रुख को भी दीद में आने दो।।-
एक दिन हम सब धुआं हो जाएंगे
सिवाए तस्वीरों के,
न कोई हमारा दूसरा गवाह होगा।।-
हम कम मिलें कोई न
बस रिश्ते नेक होने चाहिए।
साथ छोटा ही सही
बस दिल एक होना चाहिए।।-
जितनी कीमत मांगोगी उतनी अदा करूंगा
मरते दम तक सिर्फ़ तुमसे ही वफ़ा करूंगा।
ग़म अगर मेरे हिस्से का है तो वे हिसाब दो
मैं तुझे खुश रखने की खातिर हँस कर अदा करूंगा।।
जितनी कीमत मांगोगी उतनी अदा करूंगा
मरते दम तक सिर्फ़ तुमसे ही वफ़ा करूंगा।
तू मेरा हो या न हो कोई रंज दिल में न रखूंगा
बस तेरी खुशियों की खातिर हर एक जंग लड़ूंगा।।
जितनी कीमत मांगोगी उतनी अदा करूंगा
मरते दम तक सिर्फ़ तुमसे ही वफ़ा करूंगा।
लफ़्ज़ पैने हो भले पर हर शे ख़ुद से ही चलूंगा
बस दिल में बेबाकी रहें इतना वादा ही भरूंगा।।
जितनी कीमत मांगोगी उतनी अदा करूंगा
मरते दम तक सिर्फ़ तुमसे ही वफ़ा करूंगा।-
अश्क़ बयां करते है
दर्द सीने के!
जुल्मी क्या ख़ाक समझेंगे
तरीके तुगलकी हुक़ूमत में जीने के-
नदी हूं मैं तू साहिल बन
अगर मैं तेरे काबिल नहीं,
तो तू तो मेरे काबिल बन
हो जाता गर मिलना दो किनारों का
तो पूछता कौन कश्ती को
इसलिए ए दोस्त तू भी कश्ती के काबिल बन!!
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