QUOTES ON #खाक

#खाक quotes

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17 MAR 2018 AT 12:05

मैंने "मैं" को
श्मशान में ख़ाक
होते देखा है...

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28 AUG 2017 AT 0:53


बे-परवाह, बे-फ़िक्र, बे-ख़ौफ़ और बे-बाक,
कुछ इस तरह जी कर मैं हो रही हूँ ख़ाक!

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16 JUN 2018 AT 13:31

आम का मौसम है,बाग ...दिखा दूँ क्या?
जल जल के हुआ हूँ मैं,कितना राख... दिखा दूँ क्या?
और शहर में चंद लोग मुझे काफ़िर कहते है,
अंदर से कितना हूँ मैं पाक... दिखा दूँ क्या?

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13 FEB 2020 AT 18:47

कैसे समझ लिया तुने
तू छोड़ के चला जायेगा,
तो मै बिखर जाउंगी...
मै तो वो आग हु,
जो तुझे खाक कर जाउंगी...

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23 JAN 2020 AT 11:45

वो आग ही क्या जो राख न कर दे
और
वो इश्क़ ही क्या जो ख़ाक न कर दे

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20 OCT 2021 AT 17:13

फना न हो तो क्या हो...!
यादें उसकी दीवाना बना देती है।
परवाने को जलने से पहले...
खाक की खुसबू में मिला देती है।।
#यादों_की_कसक

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1 JUN 2018 AT 18:54

सरहद पे चले तूफानों से वतनपरस्ती खाक नहीं हो जाती ,
केवल नाम 'पाक' रख लेने से जगाहें 'पाक' नहीं हो जाती !


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अपनी तक़दीर पर यार रोते‌ हो क्यों
बे-वफ़ा के लिए ख़ाक होते हो क्यों

जिनकी क़िस्मत में सूरज नहीं सुबह़ का
ख़्वाब आंखों में ऐसे संजोते हो क्यों

मोम का जिस्म है तुम पिंघल जाओगे
आतिश-ए-इश्क़ में ख़ुद को झोते हो क्यों

चाहते हो जो परवान नस्लें चढ़े
तुख़्म-ए-कीना,कपट, ख़ार बोते हो क्यों

बरकतों की त़लब भी है गर तो 'ह़यात'
दिन चढ़े तक बताओ यूं सोते हो क्यों

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18 JAN 2020 AT 20:41

दे दो आग बस इतनी सी
ख़ुद को राख तो कर लूँ!

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4 FEB 2019 AT 22:06

बदलते देखा है लोगों को बदलते मौसम के साथ
जिन्दगी मेें बहुत कुछ बदलता है बदलते हालातों के साथ|

कभी जो सुख की छाँव में बीतती थी जिन्दगी
वही दुख के अंधेरों में डूब जाती है
मौसम के बदलते ही किनारे खड़ी कश्ती भी
मझधार में जाके डूब जाती है|

ख्यालात ही नही हमने तो लोगों को
चेहरे बदलते भी देखा है ,
बदलते मौसम के साथ चमकते सितारे को
खाक होते हुए भी देखा है| .....Nishi


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