दिलबर मेरे मन के आंगन में आ जाना ,
मेरे जज्बातों के संग तुम ठहर जाना .....!!!!
करनी है कुछ अठखेलियां तुम संग ....
तुम !
अपनी शरारत संग ले आना ..... !!!!!
बाहरो से कुछ ताज़गी ,
गुलशन से तुम महक ले आना .....
अपनी सांसों में पलती वफ़ा ले आना ......!!!
तुम हर उलझन को ,
अपने संग बांध लेना .....
सुनो !
आते-आते अपना दर्द भी साथ लाना ....
आंचल में अपने उनको बांध लूंगी
तेरे हर ज़ख्म की दवा बनूंगी .....!!!!!
वो जो अश्क बहाएं थे तुमने ,
उसका भिगा जज़्बात ले आना ....
वो आरज़ू जो तुम भूल गए थे कहना
देखो सुनो !
इस दफे बयां कर जाना .....!!!!
दिल ने जो दिल से कहा था
तुमने पढ़ा था शायद ,
हमने नज़रों से कुछ बयां किया था ......
अरे देखो !
इस बार भी नज़रों में रखा है कुछ
हर पन्ने को पढ़ जाना ......!!!!
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