Ruशदा Sदफ़   (RUSHDA SADAF ❣️)
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Joined 24 July 2019


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Joined 24 July 2019
22 MAR 2023 AT 13:02

जब भी मयस्सर होते हैं मुझे
मुझे याद आता है गुज़रा हुआ सबकुछ..
गुज़रा हुआ , गुज़रता क्यों नहीं है?
मगर, फिर मैं सोचती हूं...
जो गुज़र गया, वाक़‌ई क्या वो गुज़र गया?
गुज़रे हुए वक़्त को याद करना समझदारी तो नहीं
और फिर..
मेरी खुली आंखें बुनने लगती हैं कुछ ख़्वाब
कुछ उम्मीदें, कुछ वादें
लेकिन फिर एक लम्हे में मुझे याद याद आ जाती है
मेरी...
और फिर मैं करने लगती हूं अपना ही मुआयना,
अपनी कमियों पर गौर, अपने किए अधूरे काम
क्युकी सबसे ज़्यादा यही ज़रूरी है
गुज़रे लम्हे को याद करने..
और
खुली आंखों से ख़्वाब देखने से भी ज़्यादा ज़रूरी...

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17 OCT 2022 AT 22:01

कब्ज़ा कर लेती हैं..
ना सिर्फ घर में, बल्कि दिल व दिमाग में भी
सोचा आज सफाई कर ली जाए..
बेजरूरत की चीज़ें अक्सर ढाप लेती है
खूबसूरती को,
इसीलिए
निकाल फेंका आज
घर से,
टूटे बर्तन
छोटी मोटी कतरन
मकड़ी के जाले
निकाल फेंका आज
दिमाग से
वहम जो भी थे पाले
अजीब गरीब से वसवसे,
ढेर सारी चिंता
निकाल फेंका आज
दिल से
सारी गलतफहमियां,
बदगुमनियां
खुशफहमियां,
सारी जलन, सारा हसद
अब सब कुछ ख़ूबसूरत लग रहा है
घर भी, दिल भी , दिमाग भी..!

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1 SEP 2022 AT 23:25

तो पाया,
जितनी बुराइयां मैंने अब तक दूसरों में देखी है
वो कहीं ना कहीं मुझ में भी हैं..
क्युकी बुराई की आंख से अगर हम एक सज्जन को भी देखें तो नज़र आ जाते हैं खोट कई..
इसीलिए अब सोचा है, दिल साफ करना है,
नज़रिया बदलना है, इतना कि अगर कोई सामने हो लाख बुरा सही ..
मगर आंख ढूंढ़ना चाहे कोई अच्छाई उसमें कई...!

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23 AUG 2022 AT 23:43

पिछले 5 घंटों से वो मोबाइल स्क्रीन पर नज़रे जमाए बैठी थी..... लेकिन अब उसका सिर बहुत ज़ोर से दर्द करने लगा था, अब वो और नहीं बैठ सकती थी.....वो मोबाइल ऑफ करने ही वाली थी कि स्क्रीन पर "सालार सिकंदर" का नाम देख कर वो रुक गई..... लेकिन उसका सिर दर्द उसे अब और मोबाइल के सामने बैठने की इजाज़त नहीं दे रहा था... आखिर उसने मोबाइल ऑफ कर दिया...और सिर पर हाथ रख कर बैठ गई.... उसे शादीद चाय की तलब हो रही थी... उसने सोचा की काश कोई चाय का कप उसे दे जाए...लेकिन परेशानी यही थी कि उसे चाय खुद बनानी थी.... उसने मोबाइल एक साइड किया और उठ कर अपने लिए चाय बनाने लगी.....लेकिन उसकी सोच का मरकज़ अब भी "सालार सिकंदर" था..!

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23 AUG 2022 AT 10:54

प्यार के धागे को इज्ज़त की गांठ लगाकर
खुलूस की मशीन से सिला जाए तो
रिश्ता ता उम्र पक्का रहता है..
और अगर कभी गलतफहमी से उधड़ जाए
तो भरोसे से थिगडा लगा दिया जाए तो
रिश्ता पुराना तो हो जाता है
मगर सिलाई ता उम्र याद रहती है..!

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21 AUG 2022 AT 15:26

भी ज़रूरी है, अंदाज़ में
ज़्यादा समझदार हो जाने से कहां
ज़िन्दगी के मसले हल हो जाते हैं..?

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20 AUG 2022 AT 21:03

मायने रखतीं है जिसके लिए,
उनके गमो में , मैं बराबर शरीक रहती हूं,
वो मुझे मुस्कुराने के बहाने देते हैं..
और मैं उदास होने पर उनके नज़दीक रहती हूं,

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18 AUG 2022 AT 20:39

तब होती है
जब दिलों में इज़्ज़त और एहसास ख़त्म हो जाए..

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16 AUG 2022 AT 14:44

इबादत भी और मुहब्बत भी,
खूलूस भी और इज़्ज़त भी,
एहसास भी और ख्याल भी,
गर इन कामों में दिमाग लगाओगे,
हार जाओगे, हार जाओगे...!

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14 AUG 2022 AT 15:09

बिखरते हैं,
हर फूल बिखरने के बाद भी
कुछ पल के लिए खुशबू देता है
मगर.. हर इंसान नहीं.....!

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