सुना है, बहुत खटकता हूं मैं.. तेरी निगाहों में..
इशारा कर, कुछ ऐसे ओझल हो जाऊँगा
कि ना तो ख़बर मिलेगा..
और ना ही कब्र।-
कुछ लोगों का किरदार खटकता सा है
इन आंखो में, न जाने कैसे इतना कुछ सह जाते हैं
खुद को गिरता देखते हुए भी चुप रह जाते हैं।-
पूछने पर मुझसे जात क्या
तेरी, उस झिझक का चमार हूँ
सदियों से मजबूर हुआ कमजोर
तेरे उस ख्याल का चमार हूँ
मेरे बदन पर कपड़े देख
तेरी आंख से खटकता चमार हूँ।
मेरे मुंह से निकली हर सदाकत का
शीशा घोलता कानो में,वो चमार हूँ
मेरे दोस्त ,मेरे भाई ये जान लो
न मैं काम का चमार हूँ
न काज का चमार हूँ
मैं बस जात का चमार हूँ
बाबा साहब के आशीर्वाद से
उभरता मैं वो नया चमार हूँ।-
जब भी बोलता हूं, कम बोलता हूं
फिर भी न जाने क्यों लोगों की आंखों में खटकता हूं
अरे भाई थोड़ा सच ही तो बोलता हूं!!!
-
मैं सही नियत के साथ आगे बढ़ने में विश्वास रखता हूँ
शायद इसलिए मैं बहुत से लोगों को खटकता रहता हूँ-
" हर किसी को नज़रों में खटकते हैं हम,
कोई हमारी नज़रों में भी खटकता होगा। "-
खटकता तो उनको जिनके
सामने में झुकता नही ।
बाकी जिनको अच्छा
लगता हूँ
वो मुझे कभी झुकने
नही देते ।।
।। तू ही तू ।।-
तेरा मुझे ignore करना
बहुत खटकता हैं,
पर सच कहूं तो आज भी दिल,
तेरे लिए धड़कता है।-
"मुझमें कुछ कमियाँ रही होंगी,
तेरी भी अपनी मजबूरियाँ रही होंगी...
जो भी था...बता तो देते जाते - जाते...
ये दिल आज भी राज़ी नहीं,
तुझे बेवफ़ा साबित करने को ...!!!-