आँखों ही आँखों में तुमसे बात हो गई....
जो किसी ने ना देखी ऐसी मुलाकात हो गई....-
Insta- Mr.shakyaji7
दिल सच मे टूट जाता है,
जब कोई अपना रूठ जाता है......
फासले मिटाने से नहीं मिटते
जब कोई अपना दूर जाता है.....-
आसान नहीं होता समाज से अकेले लड जाना।
आसान नहीं समाज की सोच में परिवर्तन लाना।।
पर फिर भी वो अकेला खडा था।
थामे हाथ मित्रता का आगे बडा था।।
जिसे स्वाभिमान की थी अभिलाषा।
जिसनें बदली थी दानवीरता की परिभाषा।।
जो देता था सूर्य को नित्य दर्पण।
कहलाया वो "मृत्युंजय राधेय कर्ण"।।-
योद्धा में विकराल था।
शत्रुओं का काल था।
जब कोई पराजित न कर पाया।
तब फैलाया कुचक्र का जाल था।।
कवच कुण्डल को मैंने दान दिया।
पाँच पुत्रों की रक्षा का वचन माँ ने माँग लिया।
तब नियति के चक्र को मैंने पहचान लिया।
मृत्यु निश्चित हैं फिर भी,
मित्र की ओर से लडूंगा ये ठान लिया।।
जब रथ चक्र का भूमि में धसा हुआ।
जब धनुर्विद्या का मुझे विस्मरण हुआ।
तब बाण चलाया पार्थ ने,
तब इस मृत्युंजय ने मृत्यु का वरण किया।।
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मुझे नींद से न जगाओ,
एक हसीन ख़्वाब टूट जायेगा...!
बड़े जोर से थामा हैं मेरा हाथ,
जाग गया तो छूट जायेगा.... !-
अपने टूटे हुए सपनों को तू याद ना कर।
सहारे के लिए किसी से फरियाद ना कर।
जो रब ने चाहा हैं वो तुझे हर हाल में मिलेंगा,
जो खो गया उसके पीछे तू जिंदगी बर्बाद ना कर।।-
तू यूँ दोस्ती को बदनाम ना कर...
और कर..! तो यूँ सरेआम ना कर...-
अगर इश्क़ हैं, तो इजहार करों...
यूं न छुप-छुप कर तुम प्यार करों...-