#बाबासाहेबजी
हमें आपका अनुयायी होना था।
और हम आपके भक्त हो लिए।
जलानी थी, विचारों की मशाल
हम धूप अगरबती ज्योत के हो लिए।
आपने कहा था —
“शिक्षित बनो, संघर्ष करो,”
पर हमने किताबें छोड़ दीं,
और हम जयकारे में शामिल हो लिए।
संविधान रचने वाले को,
हमने फूल माला खूब चढ़ाई,
पर उसके बनाए कायदों से ,
खुद ही कोसों दूर हो लिए।
आपने बराबरी सिखाई,
हमने आपस भेदभाव बोया,
आपने एकता का सपना देखा,
हमने जाति में उप जाती के बीज बो लिए।
आपने कहा था —
“सोचो, समझो, सवाल करो,”
हमने बस आँख मूँद लीं,
और दकियानूसी परंपराओं के हो लिए।
बाबा साहब,
हमें आपका अनुयायी होना था।
और हम आपके भक्त हो लिए।
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#बाबासाहेबजी
हमें आपका अनुयायी होना था।
और हम आपके भक्त हो लिए।
जलानी थी, विचारों की मशाल
हम धूप अगरबती ज्योत के हो लिए।
आपने कहा था —
“शिक्षित बनो, संघर्ष करो,”
पर हमने किताबें छोड़ दीं,
और हम जयकारे में शामिल हो लिए।
संविधान रचने वाले को,
हमने फूल माला खूब चढ़ाई,
पर उसके बनाए कायदों से ,
खुद ही कोसों दूर हो लिए।
आपने बराबरी सिखाई,
हमने आपस भेदभाव बोया,
आपने एकता का सपना देखा,
हमने जाति में उप जाती के बीज बो लिए।
आपने कहा था —
“सोचो, समझो, सवाल करो,”
हमने बस आँख मूँद लीं,
और दकियानूसी परंपराओं के हो लिए।
बाबा साहब,
हमें आपका अनुयायी होना था।
और हम आपके भक्त हो लिए।
नितिन
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पर हमने फिर भी कुछ नहीं किया।
शब जवां थी मद्द के प्यालों से
पर हमने फिर भी कुछ नहीं पीया।
-
तुम्हारा अक्स
अक्सर हावी हो जाता है
तुम्हारे मन में।
तब एक सिहरन
दौड़ पड़ती है
तुम्हारे तन में।
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इन इंसानों की
बस्ती में
दहशत भी है,
और
वहशत भी है,
फिर भी इंसान
यहां जिंदा है, तो
हैरत की बात है।-
घर पहुंचते पहुंचते अक्सर, बहुत देर हो जाती है।
सड़क कभी लंबी, तो कभी संकरी हो जाती हैं।।
इन सड़को के सफर में , मैं अकेला भर तो नहीं।
यहां सभी को, कभी न कभी तो देर हो जाती है।।
लगता है तुम्हे इल्म नहीं अभी, सड़क की भीड़ का
यहां गाड़ी से चलने वालो को भी देर हो जाती है।।-