क्या फिर वही मिले, जहां ठिकाना है पुराना। तुम कुछ सितारे ले आना मैं कुछ चांदनी ले आऊंगी। तुम कुछ नए किस्से सुनाना मैं आंखों से कुछ यादें बयां करूंगी। क्या फिर वही मिले, जहां ठिकाना है पुराना।
इंसानों को, इंसानों से, इंसान होने के, इंसानी हक, इंसानियत तरीके से, दिलाने वाले इंसान को उनके जन्म दिवस पर शत् शत् नमन। "Baba Saheb Bhim Rao Ambedkar"
दूर दूर क्यों रहते हो पास तो आओ जरा। चुप हो कई दिनों से बात तो बताओ जरा। ये राज किसी से ना कहूं धीरे से कहो तो जरा। तेरा सारा दर्द समेट लूं गले से लगाओ तो जरा। तुम्हारा दर्द मेरी आंख से बहे ये रिश्ता ऐसे निभाओ तो जरा।
रात स्याह है पर खूबसूरत बहुत है पहले पहर में तेरी मेरी बातें है। दूजे पहर में बोझिल सी आंखे है। तीजे पहर में सपनो की नगरी है। चौथे पहर में सुबह की अंगड़ाई है रात स्याह है पर खूबसूरत बहुत है।
तुम्हारे दूर जाने से मेरे शब्द अधूरे रह गए तुम्हारे दूर जाने से मेरी कलम की स्याही सूख गई तुम्हारे दूर जाने से मेरी जुबां बेजान हो चली तुम्हारे दूर जाने से मेरी नसों का लहू जम चुका है तुम्हारे दूर जाने से मेरा शरीर ठंडा हो रहा है तुम्हारे दूर जाने से मैं भी दूर जा चुका हूं तुम्हारे दूर जाने से।