समय अपनी गति से सही चलता है
हम भौतिकी में अक्सर उलझे रहते है
सभी की प्रतिक्रिया अनमोल है मेरे लिए
प्रतिउत्तर करने में असमर्थ हूँ क्षमा लिए-
ईश्वर के हैं अंश सभी, है सभी से राग
पहुँचाई चोट हो गर कभी, क्षमाप्रार्थी ये 'आग'।-
हमारे प्रिय ब्रह्मदेव
हम सब जानते हैं कि ब्रह्मा जी त्रिदेवों में एक हैं, लेकिन बेचारे बहुत ही अंडर-रेटेड रहे हैं शुरू से.. सृष्टि के रचयिता यही हैं, हमारे भाग्य का निर्धारण भी इन्हीं के लेखे से होता है.. इनका कथन ब्रह्मवाक्य है, अटल है... लेकिन कहीं बैकग्राउंड में रह जाते हैं हमारे ब्रह्मा जी... सारी लाइमलाइट शिव जी और विष्णु जी ले उड़ते हैं... शायद यह भी इनके लेखे से होता होगा, इसलिए इन्होंने अपने लिए एक बड़ा रोचक काम चुन लिया था.. और इस वजह से कोई भी कथा इनके बिना पूरी नहीं हो सकती... हर तरफ शांति होने पर भगवान लोगों को भी मजा नहीं आता था; कुछ एडवेंचर मांगता था ताकि लगता रहे कि "अपुन ही भगवान है"...
(पूरा किस्सा नीचे है...)-
जुल्मों की आंधी मे, जब जीना हुआ मुहाल।
तब एक मसीहा ऐसा आया, जिसने सोई कौम को जगाया।
जीवन भरा था तिरस्कारों से,पानी तक उनको नसीब न था।
मंदिर तक न देखा था उन्होंने,अछूत कहकर धिक्कारा जाता था।
ऊंच-नीच का भेदभाव,चारों तरफ समाया था।
देखा जाता था धृणा से, किसी ने उनसे नजर न मिलाया था।
अहंकारो के साम्राज्य में, जीवन बद से बदतर था।
अपनी कौम की दशा देखकर, मन ग्लानी से भर गया था।
सहा न गया अपशब्दो का बोझ,तब उन्होंने ज्ञान का अलख जगाया।
उठाई जब कलम हाथों में, गद्दारों का भी रूह कांपा था।
जब सोए थे सब गहरी निंद्रा में, उनको नींद न रास आयी।
जोर-जुल्मों का किया डरकर सामना,परिस्थितियों से हार न मानी थी।
अपने लिए तो सब जीते, वे जिए अपने कौम के खातिर।
बदल डाली रीति-नीति का विधान,
हीन-भावना को दूर कर दिलाया सबको समान अधिकार।
ना हो देश अपना खंड-खंड, उसने ऐसा संविधान लिख डाला।
वो है दुनिया का बेमिसाल, हीरा जिसने सबको जीना सिखाया।
Shivani gupta-
यह हमारा सोभाग्य है -------
हम आपके संपर्क में हैं हम आपके संपर्क में
तो कभी न कभी संवाद भी अवश्य हुआ होगा,
कभी मीठा मीठा संघर्ष भी हुआ होगा
और किसी तरह की मन में खटास भी अवश्य हुई होगी वाणी के शब्दों और हमारे किसी आचरण या हमारी वजह से किसी भी तरह से आपके दिल को दर्द पहुचा होगा उसके लिए आपसे आज करबद्ध क्षमा मांगते है
सभी राग और द्वेषों को दुर करते हुए
मन,वचन,और काया से
आप से सपरिवार क्षमा चाहते हैं ।
सबको क्षमा
सबसे क्षमा
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
-
अपना ही पता भूल जाओ
तुम इतने दूर भी मत चले जाना
नीड़ का निर्माण
लौट आने के लिए होता है-
तेरा दिल दुखाने का मेरा कोई इरादा ना था,
जो भूल हुई उसे माफ करना,
खैर तेरे एक कहने पर मान लिया,
जो भी हो दिल से इंसाफ करना-
जुबां दिए बन मौन पड़ा हूं।
बेसुध, बेबस मूर्त खड़ा हूं।
सच जान भी बन अंजान,
मजबूरन यूं मूर्ख बना हूं।
नतमस्तक में क्षमाप्रार्थी,
कर दे क्षमा में क्रूर बना हूं।
जुबां दिए बन मौन पड़ा हूं।
बेसुध,बेबस मूर्त खड़ा हूं।-
गत वर्ष में
अपने मन,कर्म, वचन, लेखनी से
आपको आहत किया हो,
उसके लिए हृदय से क्षमाप्रार्थी हूँ।
गत वर्ष अधूरी रही आपकी मनोकामनाएँ
नव-वर्ष में संपूर्ण हों...
नव-वर्ष आपके लिए सुखकारी एवं मंगलकारी हो🌷
नव-वर्ष अभिनंदन 🎊🎉🎊-