Shivani gupta   (शिवानी गुप्ता❤)
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Joined 28 August 2019


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9 SEP 2024 AT 11:40

कुछ किताबें
किताबें नहीं
अलमारियां होती है
जो खुल जाएं
तो
भरभरा कर गिर पड़ते हैं
यादों के पन्नें....!!!

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9 AUG 2024 AT 16:53

जैविक मातृत्व से बड़ा है दृष्टि का मातृत्व भाव....!!!!

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22 MAY 2022 AT 18:58

भावनाएं जब काबू में ना हों
व्यथित मन चाहता हों
बहुत कुछ कहना
मगर कुछ कह ना पाता हो
उथल-पुथल में जब
संलिप्त हो जाता है मन
तब अनायास ही
बढ़ जाते हैं कदम
बड़ी बेकरारी से
कागज-कलम को थामने
और
तब इन उमड़ते-घुमड़ते भावों को
साकार रूप देती है मेरी कलम
शब्द-कुचियों के माध्यम सें....!!!!— % &

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8 FEB 2022 AT 7:57

स्मृतियां धटनास्थल पर सक्रिय हो उठती है.….!!!!— % &

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20 JAN 2022 AT 21:04

संग सदा जो रह ना सका, छोड़ उसका मोह।
भिन्न तुमसे जो हो ना सका, उसी से नाता जोड़।।

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11 JUL 2021 AT 18:59

जीवन के हर पल को सजाते रहे,
बन बगिया फूलों-सा महकाते रहे।

प्रेम की उम्र कम थी हमारी,
मगर दूरियों में भी हम प्रेम निभाते रहें।

लौटने की आस ना थी,
फिर भी ताउम्र बुलाते रहे।

साहिल किनारे बैठ रेत पर,
सांझ तले धरौदा बना मिटाते रहे।

बेहतरीन था वो शख्स यह मुकम्मल,
ख्याल यादकर हम तस्वीर बनाते रहे।

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21 JUN 2020 AT 11:15

कैसे लिखूं कविता पापा आपके नाम की,
अल्फाज ही कम पड़ जाते है आपके नाम के आगे।

सारे घर की शान हो आप, हम सबकी पहचान हो आप।
मेरे साहस का जीता जागता प्रमाण हो आप।
वट वृक्ष की शीतल छाँव के जैसे,
हर संकट से मुक्ति का मार्ग बतातें हो आप।

अपने सपनों की कुर्बानी देकर बन मजदूर,
जीवन जीने का वरदान देते हो आप।
सपनों के बल उड़ सकूँ कही दूर क्षितिज तक,
बनकर सारथी मार्ग दिखलाते हो आप।

संधर्ष की आँधियों में हौसलों की दीवार हो आप,
परेशानियों से लड़ने की दो धारी तलवार हो आप।
कहने को देता है सब ऊपर वाला,
पर मेरे लिए तो खुदा का दुसरा रूप हो आप।

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17 APR 2020 AT 22:45



अच्छा होता ग़र तुम मेरे
जिंदगी में आए ही न होते।
बेरंग सी दुनिया में जीने
की आश दिखाए ही न होते।

अच्छा होता ग़र रोती,
आँखो को हँसाए न होते।
खामोश लबों को चहकना,
सिखाए ही न होते।

अच्छा होता ग़र दूरियां ये,
नजदीकियाँ मे न बदली होती।
कैद थी अपनी ही बनाई दुनिया में,
कम से कम खुश तो रहती।


......शिवानी गुप्ता💖



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19 SEP 2021 AT 18:56

मुझे उड़ना पसंद
उसे शांत रहने की लत....!!!

मुझे गहराईयों में उतरना पसंद
उसे तैरने व डूबने का डर......!!!

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7 AUG 2021 AT 8:03


वो कभी मुझसे तारों से भरी आकाश,
और चांदनी-रात में संग रहने की बात नहीं कहता।
वो खोया रहता है अपनी ही दुनिया में,
मेरी बिखरी जुल्फों की तरफ उसका ध्यान नहीं जाता।
सुनता रहता है वो मेरी उट-पटांग बातों को,
खुद नदी की शांत धारा-सा बहता रहता।
उसके उखड़े हुए इस मिजाज को देखकर
मैं कैसे कह दूं,
वो सचमुच मुझमें प्यार करता है......!!!!

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