तन्हाई का आलम,
तेरी यादों की परछाइयाँ
घेरे बैठी,
रोम रोम आहत
तुमको ना पाकर अंग संग...!!
~बलनील-
तेरा आना
इस क़दर आना हुआ...
एक मुद्दत के बाद ज़िंदगी
लौटी हो यूँ !!!!
~बलनील-
मेरी ज़िंदगी जीने का मक़सद हो तुम
मेरी चाहत का खूबसूरत मंज़र हो तुम
~बलनील-
यह मात्र अल्फ़ाज नहीं,
मोहब्बत का एक समन्दर है मेरे भीतर
जीने की लालसा है इसमें,
हवा बादल नदिया पर्वत
गुंजायमान है इसमें...
तुम और हम
हममय हैं इस क़दर,
ये रात और सितारे
आस्माँ में जिस क़दर...
हाथों में हाथ लिए कहता हूँ
हाँ तुमसे मोहब्बत है
#बलनील
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आओ सखी..
मिलन का वो अंतिम क्षण
जी लें अब, जी भरकर,
वक्त रुक जाए साँस थम जाए !!
आओ सखी..
बहते हुए नशीले दरिया में
अनंत अथाह सागर में
मिल जाएं !!!
आओ सखी..
~बलनील~
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जो जीवंत कर देती है हृदयों को
और बहा ले जाती हैं प्रेम के अथाह
समन्दर की ओर,
महकता है जीवन इन्द्रधनुष सा
खुशबूओं से सराबोर !!!!
~बलनील-
आलिंगन की गर्माहट का सुकून
धड़कनों का वो रोमांचित संगीत
सुन नहीं पाया कभी...
....उम्र बह जाएगी
अरमाँ राख़ हो जाएँगे !!!!
~बलनील
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धड़कन-धड़कन तेरा एहसास गुदगुदाता है मुझे
तू कभी सामने तो आ कि जी लूँ तुझे उम् भर के लिए
~बलनील-
मुझे हताश नहीं करते
प्रेम में मिले घाव
जीवंत रहते हैं हमेशा
ताउम् तुम्हारी याद दिलाते रहेंगे
तुम्हें जीते रहेंगे,हम खुद में
हर पल हर क्षण!!!!
#बलनील
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खिड़कियों पे पलता
कच्ची उम्र का...एक तरफ़ा प्रेम
मा'शा'ल्लाह...
या खुदाया, परिपक्व हो जाए
किसी रोज...दो तरफ़ा प्रेम
इन्हीं खिड़कियों पे !!!!
#बलनील-