यह मात्र अल्फ़ाज नहीं, मोहब्बत का एक समन्दर है मेरे भीतर जीने की लालसा है इसमें, हवा बादल नदिया पर्वत गुंजायमान है इसमें... तुम और हम हममय हैं इस क़दर, ये रात और सितारे आस्माँ में जिस क़दर... हाथों में हाथ लिए कहता हूँ हाँ तुमसे मोहब्बत है #बलनील
आओ सखी.. मिलन का वो अंतिम क्षण जी लें अब, जी भरकर, वक्त रुक जाए साँस थम जाए !! आओ सखी.. बहते हुए नशीले दरिया में अनंत अथाह सागर में मिल जाएं !!! आओ सखी.. ~बलनील~