मुझे नज़रअंदाज़ करते हो..,
मेरे हाले दिल का कत्लेआम करते हो...
तुम्हें समझ नहीं पाता..,
तुम हो हमेशा से मेरे,ये बात कह नहीं पाता...-
पूछे कोई उससे के दुख है या खुशी है,
जाने क्यों, बूँद कोई बारिश की, पत्तों पे रुकी है..!
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अपने पैरों पर खड़े नहीं हो सकते??
बस सहारा मिले तो बढ़ते ही जाते हो
क्यों तुम्हें सहारे की जरूरत पड़ जाती है?
सहारे के लिए तुम्हारी आधार बनती हूँ
पर जो भी हो देखने वाले को तो
इन कोमल पत्तों से ये खंडरों वाला दिवार तो
और भी आकर्षक दिखने लग जाता है
मानो इन दीवारों को भी अपनी अलग सा खुबसुरती मिल गया हो-
मेरी रूह का पता मांगते मांगते आया था,
न जाने क्यों अब सिर्फ जिस्म की गलियोंमे
भटकता नजर आता है।-
हाथ से जो हाथ मिला तो ज़िन्दगी वो दिलरुबा,
हाथ छुटे हाथ से, तो क्यों हुआ वो फिऱ जुदा,
हाथ उठे जो हवा में तो हो गया वो अलविदा,
जब हाथ ही की लाक़ीरों में वो लिख गया है सब ख़ुदा,
फिऱ हाथ जोड़ूँ हाथ से, पूजूँ उसे क्यों शामों-सुबह..!
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किसी के बिछड़ जाने का,
वक़्त सबका आता है...
अपने आप को दिखाने का,
और , जिसे कभी प्यार ही नहीं तुमसे..
उसकी तस्वीर को क्यों सीने से लगाने का..?
जो होना ही नहीं चाहता तुम्हारा..
उससे क्यों दिल लगाने का..?
जाना चाहता है वो, शौक से जाए..
जाने वाले को अब क्यों रोकने का..?
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है गुजारिश तुमसे मान जाओगे क्या
मेरी रूह चुराई थी उस रोज अब लौटाओगे क्या
चल दी थी मुस्कुराहट तुम्हारे साथ
उसे फिर से लबों पे सजाओगे क्या
जो काजल बिखरा है उसे मिटा जाओगे क्या
आंखों में देख धीमे से मुस्कुरा ओगे क्या
एक गुजारिश तुमसे....
करोगे आखरी मुलाकात अपने इस प्यार से
या करोगे आजाद मुझे अपने प्यार से-
Kyu tum mujhse door
Jane ke intezar me ho
Kyu me tumhare pass
Aane ko bekrar hu-
क्यों तुम समझते नहीं ,
प्यार मेरा ,
दर्द मेरा ,
अंजनियो संग हास्ते हो ,
हाल मेरा ना पूछते हो ,
फिर भी ,
क्यों में सिर्फ तुम चाहती हूं ,
ख़यालो में सिर्फ तुम्हारी ही तस्वीर बनती हूं ,
तुमसे बात ना हो जिस दिन ,
खुद को तन्हा सी पाती हूं ,
@gunjanmehta_7-
रहगुज़र था मैं तेरी राहों का,
तुझ से मिलकर बिछड़ गया,
तुम किन्हीं औऱ राहों पर चल दिये,
मैं सब्र में तुम्हारे वहीं सिमट गया।-