Nilangi Dongre   (NILU)
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Joined 30 January 2019


Joined 30 January 2019
9 DEC 2023 AT 16:03

मेरे भी जीवन में कभी कोई ऐसा तो होगा
जो सिर्फ मेरा और मेरा कहलाएगा

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7 DEC 2023 AT 15:42

यह चुनाव तुम करोगे चुप रहोगे
या...... बीती हुई उम्र का अफसोस
इस तरह चुप रहोगे तो
जो तुम्हारे दिल में नही बसते
वो दिमाग में घूमते रहेंगे
सब लोग साथ देने वाले नहीं मिलते
ऐसे ही चुप रहे तो ...कैसे तय करोगे मगर क्या ,और कोन तुम्हारे साथ रहेंगे ????
तुम खुद से दूर जाते रहोगे
इस तरह चुप रहना मुनासिब नहीं
ये तुम पे छोड़ते....
बता ही दो...
इंतजार करे या लोट जाएं ??

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17 NOV 2023 AT 13:20

सुन ना..........
मत हो दाखिल ख्वाबों में इस तरह की
दूर होकर नजदीक होने की चाह सी रहें
अगर दे सको इजाजत तो
आपके खातिर .....दिल में ठहर जाऊं कहीं
आप ही ने कहा था ना
प्यार परखा नहीं जाता
हों जाता है.......
क्या कहें आप समझ लो
आपकी मोहब्बत
आपकी चाहत
यही इश्क मेरी जिंदगी
क्या लिखूं आपके खातिर..
इन गजलों सी आंखो में खोने
या...
शायर बन लिखने .... क्या जवाब दो..

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12 OCT 2023 AT 15:34

हां ....नहीं मिला पाती मैं नज़रे तुमसे
कभी कभी......सोचती हू जो नज़रे मिलाई
तो कही इनमे खो न जाऊं
कहना चाहती हू मैं तुमसे वो सब
कही भूल न जाऊं
सुनो ,ऐसे भी होता है
कभी कभी ...पहली मुलाकात दिल में
इस तरह बस जाती है
जब भी आंखे बंद करू
वही मुलाकात याद आती है
क्या कभी कभी तुम्हे भी.......?

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16 SEP 2023 AT 21:53

इश्क करे टूटे बिखर जाएं, इतने जरूरी तो नहीं हों तुम
कुछ तो है, जो कुछ नहीं तो, ये उठता सवाल क्यों ?
बहसबाज़ी का हल निकलेगा नहीं शायद,
मुस्कराओ और निकल जाओ तुम
इतने जरूरी तो नहीं हों तुम....
पूछती हूं एक सवाल न जानें किस से
मै बहुत कह चुकी जो है, कहना मुझे
जो समझना हैं समझो
अब समझना तुम्हे
सच कहूं........सुन रहे हो तो सुन लो
इतने जरूरी भी अब तुम नहीं.....

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14 SEP 2023 AT 22:44

सवाल इतना सा हैं ,बात कहा सुनते हो तुम....
सफर है जिंदगी का कुछ खुशियां तो कुछ गम भी आयेंगे
पर क्या सुनते हो तुम.....???
हर मोड़ पर मेरा साथ देते हो तुम
यू तो खुद को संभाल लेती हूं मैं
तकती हूं राह तुम्हारे ख्यालों में खो जाती
बेचैनी, बेकरारी उन्हें अपनी बेबसी समझा भी नहीं पाती हूं मैं
बात भी कहा ,सवाल इतना सा सुनते हो तुम
सुनो.......
अगर ऐसा हुआ कि मैं खुद को संभाल नहीं पाई
तो कहो न संभाल लोगे तुम
ये भी तो है बात भी कहा सुनते हो तुम
सवाल इतना सा, क्या जवाब दे पाओगे तुम???

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10 MAR 2023 AT 22:34

सजाए बदन पर संस्कारों का गहना...
नजरों का उठना ,पलकों का गिरना...
लबों का हिलना मगर कुछ भी न कहना..
यादों के गलियारों में गुजरती
बड़ी रूहानी थी वह पुरानी बातें

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25 MAY 2022 AT 18:01

बुरा है वक्त या तकदीर का पूरा खेल है
अपने अपनों की समझ का यह भेद है

समय का यह पैया नहीं जो कर्म लौट के वापस मिले
अगर है आत्मा अमर तो मृत्यु ही जीवन क्यों नहीं

जरूरी अगर धर्म का पाठ है तो नेकी का यह जमाना क्यों नहीं अगर कर्मों का भय अवश्य है मनुष्य में तो परमात्मा का कोई ईमान क्यों नहीं

खुशी से पीड़ा तक का यह खेल एकमात्र व्यथा पर ही रुका ऐसा क्यों

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29 APR 2022 AT 14:15

बातें बहुत सारी पर लफ्ज़ खुलते नहीं
किसी से बात हो तो कहूं उससे
तू अब भी याद आता है
कैसे कह दूं दिल में रहना है मुझे
बाते तो जी भर कर करता दिल मेरा
मुझे नहीं आता तुझ से कहना मेरा
यूं ही क्यों बेचैन है दिल मेरा

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25 MAR 2022 AT 20:07

तेरी राह...
देखते देखते....
बूंद बूंद आंखों में तेरा नाम भर लिया
कतरा कतरा सा एहसास लिए
बिखरे जज्बातों को रूह में समेटे
तुझे महसूस कर लिया
मेरी राह....
देखते देखते....
तू कितना बेचैन है मेरे लिए बता तो जरा...

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