-
बिना कान का "राजा" कहता,
मैं अपनी प्रजा की की सारी बात "सुनता" हूं,
क्या चलता है "देश में मेरे",क्या है सुगबुग,
मैं बखूबी समझता हूं,
और कहता अपनी "प्रजा" से,
हरदम मेरी ओर रहोगे पक्का ये "इकरार" करो,
आओं मेरे "भूखे नंगो",
मुझे ही "भगवान" समझो, मुझे ही "पूजो",
और मुझ से ही "प्यार" करो..!!
:--स्तुति-
जाने कब घर में घुसा, ये कोविड चुपचाप?
साँस मेरी उखड़ रही, बढ़ता जाये ताप।-
कोविड पोजिटिव आया मेरा
कितने ध्यान से रही फिर भी
कोविड हो ही गया आप सभी
अपना बहुत ख्याल रखिएगा
✍— % &-
जहां न पहुंचे रवि
वहां पहुंचे कवि
ये अधूरा था, आगे है
जहां न पहुंचा कवि
वहां पहुंचा कोविड-
जहाँ लव जिहाद से
कोविड जिहाद बन जाता है
और सांप्रदायिकता इस तरह बढ़ती ही जाती है....-
करोना से ठीक होने के बाद
अभी भी बैठा मन में डर
कभी भी कोई बीमारी
शरीर में उभर आती
सूरज की रोशनी में
उम्मीद की किरण जगती
बच जायेगी जीवन हमारी
रात के अंधेरे के साए से
डर है लगता कहीं
मौत गले ना लगा ले।
(post covid effect😭😭)-
जो कुछ न कर सके
ऐसे गंभीर हालात में
दूसरों के लिए कुछ
अच्छा तो खुदा से
माफी ही मांग ली✍️
-
बढ़ता जाए ताप कि सिर पूरा चकराए
टूटे हर एक अंग, रात- दिन नींद न आए।-