बात वो नहीं जिसके चर्चे उङ रहे हैं
महंगाई नही साहब खर्चे बढ गए हैं...
(पूरी रचना अनुशीर्षक में पढें)-
अल्मोड... read more
गली के कुत्ते को
बगीचे के सुंदर फूलो से प्रेम नहीं
सुहाने मौसम से उसका कुछ लेन-देन नहीं
हरे भरे पेङो की तरफ वो देखता भी नहीं
कोयल की कूक तो कभी वो सुनता ही नहीं
उसे तो प्रेम है उस बुजुर्ग से
जो रोज सुबह उसे बिस्किट देता है
क्योकि प्रेम तो उसी के लिए पनपता है
जो बिन कहे आपकी हर जरूरत समझता है
-
मय से मीना से ना साकी से ना पैमाने से
दिल बहलता है मेरा चाय को सुड़काने से
-
जब हम पैदा हुए
तब बहुत छोटे थे
फिर थोङे बङे हुए
मगर छोटे ही थे
फिर थोङा और बङे हुए
मगर छोटे ही थे
धीरे-धीरे बङे तो हो रहे थे
पर कहने को छोटे ही थे
हाफ पैंट से
फुल पैंट में आ गए
पर फिर भी छोटे ही रहे
और फिर एक दिन
पहली बार
हमें चाय पीने को दी गई
बस उस दिन
हम बङे हो गए
अपने पैरो पर खङे हो गए-
लिखे तुमको हुआ जमाना
करो पेश कोई तो नजराना
नया quote कब लिखोगी
राह तके मेरे व्याकुल नयना
-
सुबह उठकर एक चाय मिली थी
आफिस में भी चाय पी ली थी
शाम को घर आ के फिर चाय पी थी
-