Dr. Rimjhim Singh   (Dr. Rimjhim Singh)
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Joined 15 May 2021


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Joined 15 May 2021
6 HOURS AGO

Yoga opens pathways, long concealed within,
To stillness found in chaos, where true peace can begin.

It gently stretches body, releases knotted fear,
A silent, sacred journey, drawing wisdom ever near.

It opens mind to presence, each breath a conscious art,
Unveiling inner radiance, a true and open heart.

So step upon the mat, let worries drift away,
And greet the soulful freedom, illuminating day.

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11 HOURS AGO

Life is a dance, a rhythm unseen,
Steps taken with joy, through what has been.
Sometimes a solo, sometimes a pair,
Each movement a story, beyond compare.

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11 HOURS AGO

Unites body, mind, spirit.
Find peace, strength within.

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18 HOURS AGO

शब की ख़ामोशी में जब तुम मिलते हो,
दिल के हर कोने में रंग भरते हो।

निगाहों की गहराई में खो जाते हैं हम,
साँसों की सरगोशी से बातें करते हो।

लबों पे मुस्कान, आँखों में इकरार,
हर धड़कन में बस तुम ही बसते हो।

इश्क़ का ये कैसा अजब है फ़साना,
हर लम्हा एक नया अफ़्साना गढ़ते हो।

जुदा होके भी रूह से जुदा नहीं होते,
ख़्वाबों में आकर रोज़ तुम ही मिलते हो।

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18 HOURS AGO

गहरी रात में जब साज़ बजता है,
ख़ामोशी में दिल का हर राज़ खुलता है।
धुन की लहरों पे बहते हैं अरमाँ,
अश्कों में जब हर दर्द घुलता है।

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18 HOURS AGO

वक़्त की क़ीमत कौन जाने यहाँ,
इतिहास में दफ़्न कितनी पुरानी याद।

लम्हे गुज़रते, बस किस्से बनते हैं,
हर साँस में है इक अनकही फ़रियाद।

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18 HOURS AGO

अरमानों की उड़ान जब परवाज लेती है,
आसमाँ भी तब छोटा नज़र आता है।

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18 HOURS AGO

जीवन की राख में सुलगती है आग,
धुएँ में उड़ते ख़्वाबों की पहचान।

तन्हाई का सफ़र है यह बेबाक,
हर साँस में दर्द का है निशान।

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18 HOURS AGO

ख़ामोश रातें जब बोझिल होती हैं,
तन्हाई में यादें बहुत बोलती हैं।
दिल की हर धड़कन बस तुझे पुकारे,
आँखें बंद कर तेरी राहें टटोलती हैं।
ज़िंदगी के पन्ने जब पलटते हैं कभी,
भूली बिसरी ख़ुशियाँ फिर ढूँढती हैं।
उम्मीद की शम्मा फ़िर से जलने पे,
तब ग़म की काली बदली हटती है।

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19 HOURS AGO

लिखे जो ख़्वाबों के पन्ने रात भर,
स्याही में अश्क भी घुल जाते हैं अक्सर।

कलम की नोक पर ठहरा दर्द गहरा,
ख़ामोश लफ़्ज़ों में राज़ छुपाए बेहतर।

हर अल्फ़ाज़ गवाही देता है दिल की,
आहें भी अब नज़्म बन जाती हैं मुकर्रर।

इल्म-ए-इश्क़ की ये कैसी दास्तान,
लफ़्ज़ों में रूह का दर्द झलक जाए सरसर।

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