MeHer   (Meher)
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नया संगीत रचती वो लड़की
खुद की तलाश में
लिए है कागज और कलम
खुद को ही रचती वो लड़की✍️
Joined 8 November 2018


नया संगीत रचती वो लड़की
खुद की तलाश में
लिए है कागज और कलम
खुद को ही रचती वो लड़की✍️
Joined 8 November 2018
8 MAY AT 15:57

Wish I lacked critical thinking skills , y'all seem so happy

















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20 MAR AT 15:36

लड़कियां अगर सही गलत की बातें करें तो
तो लोग उन्हें तेज कहते हैं


जबकि लड़कियां अपनी बातें रखते हुए समझदार हुई है
और सबसे ज्यादा आसान हुई हैं

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20 JAN AT 9:15

Someone irritates me,
I block the news anchor












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18 JAN AT 19:39

प्रेम संज्ञा नहीं
एक क्रिया है

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17 JAN AT 15:58

बहुत कुछ बचा है जीवन में,

अभी तक मैंने ताजमहल नहीं देखा,
उस नए कवि की किताब नहीं पढ़ी,
पहाड़ों की ओर नहीं गया,
समुन्दर को देख उसे आसमान से नहीं तौला,
हवाई जहाज से नीचे नहीं झांका,
बादलों को खा कर उनका स्वाद नहीं जाना

और तुम्हें नहीं बताया कि
मैं अबतलक तुम्हारे प्रेम में हूँ।

- अज्ञात










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16 JAN AT 12:47

मदद

( कैप्शन में पढ़े )












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15 JAN AT 8:40


वहीं सर्द सुबह
वहीं रोजमर्रा के संघर्ष

नया हैं कुछ हैं तो वो हैं

बदलाव के लिए ‘मन’ का संघर्ष...!

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10 JAN AT 22:05

“मुझे अवसाद और नाउम्मीदियों से बचना है
थकान और नैराश्य से भी, ईर्ष्या और अधैर्य से भी
मुझे अभिनय नहीं सच के साथ जीना है
जबकि यह दिन-ब-दिन मुश्किल होता जाएगा”

• अविनाश मिश्र












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4 JAN AT 23:03

आसान है करना प्रधानमंत्री की आलोचना
मुख्यमंत्री की करना उससे थोड़ा मुश्किल
विधायक की आलोचना में ख़तरा ज़रूर है
लेकिन ग्राम प्रधान के मामले में तो पिटाई होना तय है।

अमेज़न के वर्षा वनों की चिंता करना कूल है
हिमालय के ग्लेशियरों पर बहस खड़ी करना
थोड़ा मेहनत का काम
बड़े पावर प्लांट का विरोध करना
एक्टिविज्म तो है जिसमें पैसे भी बन सकते हैं
लेकिन पास की नदी से रेत-बजरी भरते हुए
ट्रैक्टर की शिकायत जानलेवा है।

स्थानीयता के सारे संघर्ष ख़तरनाक हैं
भले ही वे कविता में हों या जीवन में।

--- प्रदीप सैनी






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3 JAN AT 9:54

हर कार्यक्रम में विद्या की देवी माँ सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण करना सहज और सरल...जाने यह प्रश्न कभी किसी को क्यों नहीं परेशान करता कि जब समस्त विद्या की देवी सरस्वती थीं तो सदियों से स्त्रियाँ शिक्षा से क्यों वंचित रहीं?(अपाला, घोषा,गार्गी,लोपामुद्रा आदि कुछेक स्त्रियों के नाम न गिनाइएगा क्योंकि इनका नाम लेकर हम सदियों स्त्री के खिलाफ़ हुए षड्यंत्रों से आँखें नहीं चुरा सकते)

क्या स्त्री होना इतना मामूली होना था, कि कोई देवता तो दूर किसी देवी की भी निगाह हम पर नहीं पड़ी...फ़िर तो जिनकी निगाह पड़ी वही हमारी पूजनीया हुईं...कोई माने या न माने हमारी पुरखिन, हमारी सवित्रीबाइफुले ही हमारे लिए विद्या की देवी हैं और स्त्रियों (ख़ासकर महिला शिक्षकों) आप विद्या की देवी के नाम पर फूल किसी की भी प्रतिमा पर चढ़ाइए,वंदना स्तुति गाइये पर याद रखिए आपको फूल चढ़ाने का अधिकार इन्हीं की बदौलत मिला है ...

जन्मदिन पर बहुत बधाई माते














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