भक्तों को लगता है बिना लाउडस्पीकर के दुर्गा जी सुनती नही हैं। रात के 2 सवा दो बजे साउंड प्रूफ खिड़की को भेद जो बेसुरी आवाज़ें भजन के रूप में आ रही हैं उससे कालरात्रि ही जागेंगी वह भी क्रोध में भस्म करने को। न संगीत की समझ न भाव की शुद्धता बस दूसरों को जता देनी है अपनी शक्ति यही है इस दौर की भक्ति। नवधा भक्ति की नवधारा है यह।