संक्रमण के चक्कर में,
कोई खाली पेट सो जाएगा ।
उसे सपने आएंगे,
के मेरा भोजन कहां से आएगा?
रोटी का एक टुकड़ा देंदे,
या पानी दो बूंद सही ।
राम भी खुश होगा तब ,
अल्लाह भी दिया जलायेगा।-
कहर कोरोना का मचा, जीवन मे उत्पात
सबको इक सा डस रहा, देखे जात ना पात
हैंडवाश से हाथ जो किये नही सेनिटाइज़
मिले कोरोना का उसे, तुरत गिफ्ट सरप्राइज़
मुँह पर कपड़ा बाँधिये, तब करिए प्रस्थान
अत्ति ज़रूरी कार्य हो, या लाना सामान
फैशन की मत सोचिए, जीवन है वरदान
सुंदर वो इंसान है, चढ़े मास्क जोऊ कान
गजभर की दूरी रखें, हाथ छुए न हाथ
करें नमस्ते दूर से तो मिले जीवन सौगात
बड़ा विकट ये रोग है, दिखे कहु न सुनाए
अनजाने में वार करे और चुपके से हो जाय-
करो ना कोरोना को अनदेखा
खींच लो ख़ुद ही लछिमन रेखा
21 दिनों का स्वगृहवास
कोरोना को हराने का है ये प्रयास
जो भी मिले उससे ये कहो तुम
कुछ दिन तक बस घर में रहो तुम
और न फैले ये महामारी
हम सबकी है जिम्मेदारी
सरकार माँग रही सबका साथ
करो लड़ाई अब धो धो हाथ-
हे कोरोना
ग़रीब गुरबे तो ग़ुरबत में ही जीते
कभी चिमकी बुखार से मरते
तो कभी दंगों से
उन्हें ख़ौफ़ में रखो ना
हे कोरोना
-
बंदी में कुछ न होना है
डर लगता है 'कोरोना' है
नफरत का ज़हर जो बोते है
उनसे 'आगाह' भी होना है
सब 'साथ' सफाई करते रहो
मैला जो 'मन' का कोना है
खुशियां महंगी दिन 'चार' की ये
हर 'दाग' को रोकर धोना है
'मैं' को मेरी परवाह है बस
ये जादू या कोई टोना है
कर जो बैठे 'अधिकार' समझ
समझौते 'चार' का रोना है
है अंत सभी का 'एक' यहाँ
जो 'निश्चित' है वो होना है-
किस का है षडयंत्र ये या प्रकृति की मार है
विधाता की मर्जी है हर जीव आज लाचार है-
जब MAA के हाथों से खाने को भागा करता था,
क्या आज ये भी दिन है ?
जब MAA के हाथों से खाने को तरसा करता हूं ।
लौट आए वक्त , जब मैं फिर से बच्चा हो जाऊं
झगड़ा करू अपने यारों संग , और मां का लल्ला हो जाऊं ।
क्या खुशबू थी मिट्टी की , देर गिलहरी सावन की
जब उसमें लोटा करता था , बूदों में भीगा करता था
वक्त ये तूने क्या कर दिया , क्यों मुझे तू बड़ा कर दिया
अच्छा था मैं सच्चा था, जब मैं छोटा बच्चा था👬
आज तूने ये कहां खड़ा कर दिया, *life,goal,etc*
वक्त ये तूने क्या कर दिया?
पापा के कंधो पर बैठकर, क्या मजा था मेला देखने में
पैसों की tention नहीं था, खिलौंनों का कमी नहीं था
आज तूने क्यों इतना बड़ा कर दिया,
वक्त ये तूने क्या कर दिया😞 👉😊
दादा और दादी की चश्में , कैसे चुराया करता था
Chocolate or paiso से ही वापस किया करता था
क्यूं तूने मुझसे मेरी बचपन छीन ली?
वक्त ये तूने क्या कर दिया, वक्त ये तूने क्या कर दिया😑-
वैसे जाना तो सबको ही है
पऱ थोड़ी कोशिश रुकने की
की जाये तो इसमें हर्ज ही क्या है,
रुक जाओ ना कुछ दिन
घर पे बैठ के देख लेते हैं,
देखते हैं संगनी को गौर से
बच्चों का शोर सुन लेते हैं,
पापा के पैरों की सोजिस
माँ के गालों की झुरियां देख लेते हैं,
अपनी कमियां- खामियां भर लेते हैं
थोड़ा हँस लेते हैं मिल बैठ कर..,
सुना है कोरोना के मरीज़ को तन्हा कर देते हैं
अब तन्हा वैसे भी कौन नहीं है यहाँ
आओ यह तन्हाई हम-सब बांट लेते हैं,
ज़िन्दगी की रफ़्तार से कुछ फ़ासले करते हैं
मिलकर लड़ते हैं.., बेवज़ह ही हम डरते हैं..,
वैसे भी तो रोज़.. हम मरते ही हैं,
"अब थोड़ा जी लेते हैं..अपनों के लिए..अपनों के साथ.."-