किश्तों में टूटना
और फ़िर टूट कर हर दिन बिखरना
क्या होता है ?
ये मैंने -
तेरी प्रीत से सीखा है..!!!-
बनाई गई हैं वो कुदरत की पंचतत्वों से
मैं कैसे उस पर कोई शक करूँ |
हैं वो शिव की अर्धनारीश्वर रूप
मैं कैसे उसको अपनी रूह से दूर करूँ |
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जिन आँखों में सूरत तेरी
वो किसी और को देखे कैसे
जिनके खयालों में बस तुम हो
वो किसी और को सोचे कैसे
मन के मंदिर का जिनके
एक तुम ही भगवान हो
मुझे बताओ जरा ओ बेकदर
किसी और को अपना खुदा माने कैसे
दिल में जिनके तेरी ही तस्वीर हो
ख्वाबों में किसी और का चेहरा वो देखे कैसे
जिनके धड़कनों पर बस तेरा ही नाम हो
किसी और का नाम सुन वो दिल धड़के कैसे
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कैसे बताऊं तुझे.............
तेरी याद नही आती..............
आँखे बंद है बस नींद नही आती....
😔😔😔-
बिना ख्याल क़लम चलाऊ कैसे
फक़त अल्फाज़ों से गज़ल बनाऊ कैसे ।
आज तो कुछ भी नहीं कमा सका
आज रीते हाथ घर को जाऊ कैसे ।
पुरखों की मेहनत निलाम करके
शहर में आशियां सजाऊ कैसे ।
बिना काम के वो बात ही नहीं करती
अब हर रोज़ नया बहाना बनाऊ कैसे ।
मोहल्ले में कुछ लोग बुरा कहते है मुझे
अब इंसान से देवता बन जाऊ कैसे ।
सागर 'अजनबी'-
हुनर था हर हाल मे हँसने का मेरे पास,
आज रोने लगा हुँ कुछ तो बात होंगी।।-
दीवार में चुनना चाहता है वो मुझे,...
कोई बताओ,दीवार में दीवार कैसे चुनते है ?-
ग़मों ने मुझको मारा है अभी थोड़ा तो जीने दो
बड़ी मुद्दत से प्यासा हूँ मैं ज़रा दो घूँट पीने दो
साहिल की तमन्ना में बरसों से रोया नहीं था मैं
अब उम्मीद टूटी है मेरी तो दो आँसू तो पीने दो
मैं आया हूँ मैं जाऊँगा क्यूँ कहते हैं सब मुझसे
अभी तो साँस बाक़ी है दो क़तरा तो जीने दो
एक ख़्वाहिश है मेरी के मैं तेरा हो के मर जाऊँ
वफ़ा की उधड़ी तुरपाई फिर इक बार सीने दो
तुझको भुलाने का अब एक ही तरीका है बस
दिल खोल के अब मुझको तुम शराब पीने दो
"सुमित" बेपनाह मोहब्बत करता है मेरी जान
इस इश्क़ में एक बार चैन से मरने या जीने दो-
कैसे कह दूँ प्यार नहीं है तुझसे,
तेरे हर एक लफ्ज़ आज भी याद है..
तु समंदर सा समाया है मेरी इन आँखों में,
इन आँखों की नमी बनके शायद तु मेरे पास ही है..
बिछड़ के जीना मुमकिन तो नहीं है मेरे लिए,
लेकिन कोशिश जारी आज भी रखते है...
चाहे तु अपना ले किसी और को,
पर इस दिल में जगह खाली तेरी ही है..
चाहे तू दिल से उतर भी गया,
मगर..दिल में खुदा की जगह बसा तू ही है..
तू माने या ना माने इस प्यार को,
आज भी मेरी रुह में सिर्फ तू ही बसता है..
_v_p@rm@r
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दिल की इस बेकरारी को,
अब कैसे समझाऊ..!!
वो चली गयी छोड़ के मुझे,
इस दिल को अब कैसे समझाऊ..!!-