मासी ज्येष्ठ कि तपन से,संतापित सब जीव।
सूखे सरवर,कूप,सब,,,,मेघ बरस संजीव।।
मेघ बरस संजीव,,,कि हो सुख पारावारा।
कृषि फ़ले धन्य धान्य,नयनों को हर्ष अपारा।।
भू-अंबर की मैत्री,अचंभित तिहुँ जगवासी ।
क्रमशः हो अवरोही,दिशा-दिशा हो सावन मासी।।-
#कुंडलिया
कैसे घटी दुर्घटना, बहे नयन-जल धार।
अंगारे बरसन लगे, थमने लगी बयार।।
थमने लगी बयार, सब त्राहि- त्राहि पुकारे।
है तैयार मुखाग्नि, प्राण अब कौन उबारे ?
लिखता हूँ पछताय, लखन जी हारे कैसे ?
शक्ति बाण का वार, कहो अब टारे कैसे ?-
*कुंडलियाँ छंद अभ्यास*
गर्मी की छुट्टी हुई, लेकिन हम मजबूर।
बंद पड़ा सारा शहर, गाँव बहुत है दूर।
गाँव बहुत है दूर, कहां चलती है रेलें।
बीत रहा अब साल, मुसीबत कितनी झेलें।
धूप बदल कर रंग, दिखाती थोड़ी नरमी।
जेठ मास की धूप, तनिक फीकी है गर्मी।
प्रीति-
कुंडलिया छंद
"माखन-चोरी करत है, मइया तेरो लाल।
गोपी देइ उलाहना, मुस्काये नंदलाल ।।
मुस्काये नंदलाल, मातु जब लकुटि उठायी।
अँसुवन नैना लाइ, कहें तब कृष्ण कन्हाई।।
'मधुमयि' रिस न करहु, सुनहु ओ मइया मोरी ।
ढीठ गोपिका झूठ, लगावे माखन चोरी ।।"-
विषय- प्रतीक्षा। विधा- कुण्डलिया
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प्रतीक्षा की राह में, पागल होते लोग।
पड़े हुए होकर बेसुध , जैसे छाया रोग।
जैसे छाया रोग, भाए नहि खाना पीना
रह रह मन सकुचात, होत है मुश्किल जीना।
कहता है, 'गुस्ताख़', वक़्त देता है दीक्षा।
लाये सुखद रिजल्ट, आती है फिर प्रतीक्षा।
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कुंडलिया छंद
जनकसुता से मिल गए, जब राघव के नैन।
मन की कलियाँ खिल गईं, निकसत नाहीं बैन।।
निकसत नाहीं बैन, छबि बस गई उर अंतर
कल न परत दिन रैन, चलौ है जादू मंतर
जे बिलक्षणी प्रीत, चलि आई है प्रथा ते
बिछड़े राघव धीर, मिले हैं जनकसुता से-
आशा मम अखण्ड अतः, खंडित हर अभिमान।
आह्लादित मम मन भया, राम बसे निज धाम।
राम बसे निज धाम, प्रमुदित सकल संसारा।
वसुधापूजन साथ, शोभित नगर हर द्वारा।
अवधपुरी रग चारु, रघुकुल मणि राम वासा।
सत्पथ के प्रतिमान, दुखिया के राम आशा।-
// प्रेम (कुंडलिया ) //
न सुनी सुनाई बतियां,ना मोहब्बत की सौं
दिल रटे चाहत रसिया, दिल की गिरह खोलो
न करो शिकवे शिकायतें,बस इश्क़ में जी लें
कुछ तुम कहो, कुछ हम दिल के मुताबिक कर लें
मिलती है मोहब्बत किस्मत से, स्वीकार करें
संग संग इक दूजे के, जिंदगी हम गुजार दें-
कुंडलियां छंद
आया अभी चुनाव है, करना है मतदान
ठोक बजाकर वोट दें, रखना हमको ध्यान
रखना हमको ध्यान, नहीं छूटे मतदाता
एक वोट का दान, बदल दे भाग्य विधाता
भाषण दें मनहरन, रचाते पीछे माया
खोल रखें हम कान, अभी चुनाव है आया ।।
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