बचपन के वो दिन वो सारे खेल खिलौने याद आते हैं।
आपके साथ हुई एकाध मुलाक़ातें सनम याद आते हैं।
आपके इश्क़ में जो डूब गए थे एक अरसे पहले हम।
इस रूहानी इश्क़ की बारिश की बरसातें याद आते हैं।
आपके बिना तो सोचा भी नहीं था कि जी सकेंगे हम।
कि आप तो हमको उस गली में आते जाते याद आते हैं।
जो सोचा था अपने ख़्यालों में कई दफ़ा करेंगे आपसे।
जो हो न सकी आपसे कभी वो अधूरी बातें याद आते हैं।
बस आपसे बात करते करते ही यूँही बीत जाती थी जो।
कि मोहब्बत की वो प्यारी-प्यारी हसीं रातें याद आते हैं।
आपकी रूहानी इश्क़ के शबनमी बूँदों में जो अक्सर।
भींगते थे हम, रुत-ए-इश्क़ की वो बरसातें याद आते हैं।
बचपन में पास में कुछ भी न था पर दोस्ती थी "अभि"।
दोस्त के साथ की निःस्वार्थ ख़ुशी-सौगातें याद आते हैं।-
26 APR 2024 AT 17:02
10 MAR 2020 AT 17:25
आशिक भी देखे और इश्क़ भी देखा
पर प्यार की दूजी मूरत ना देखी
दुनिया भी देखी और खूबसूरती भी देखी
पर राधा रानी सी दूजी सूरत ना देखी
🙏🏼 राधे राधे 🙏🏼-
22 MAR 2023 AT 21:36
अलसायी सी उठी सांवरी सुबह,
मल के धूप हुई है कैसी गोरी।
लगे नज़र ना,ऐसी स्निग्ध मधुरता,
मिश्री मिली हो ज्यों मक्खन की कटोरी।
ओढ़ के चुनरी सिर पे नील गगन की,
चली छमक के कोरी कमल किशोरी।
देख सलोना चेहरा चहकी चिड़ियाँ,
जाने किसके हॄदय की होगी चोरी!
इतरा बोली सुबह, "क्यों बतलाऊँ?
कौन है वो चंदा मैं जिसकी चकोरी।"
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27 JUN 2020 AT 13:19
हे किशोरी जू ,
तुम समा जाओ ह्रदय में
जीवन सार्थक हो जाएगा मेरा
नही तो ,निर्थक है इक इक श्वास भी!!-
24 OCT 2024 AT 10:12
बाद-ए-सबा में केशों ने रूख़ को यूं ढका
दुल्हन ने घूंघट किया हो जैसे
दुपट्टा यूं लहरा के उड़ा
अल्हड़ किशोरी ने ओढ़ा हो जैसे-