कई बार
पुराने दोस्तों से, पुरानी बातें कर लिया करो यार
आप खुद तरोताजा हो जाएंगे!-
न जाने कितने दिनों में वो हमें याद करते हैं,
और हम भी देखो कितने नासमझ हैं;
जो उन्हें खुद की याद आने की फरियाद करते हैं!!!-
जिस संतान से उसके ;
माता-पिता ही प्रसन्न ना हो ,
उससे ईश्वर का रुष्ठ होना भी ;
स्वाभाविक हैं !-
उन्हें शिकवा है कि उनसे बात नहीं हो पाती है,
अब उन्हें क्या बताएं हम;
यहां तो हम खुद से मिलने को तरस जाते हैं!!!-
तुम्हारी बद्दुआओं में असर नहीं जनाब,
मैं बीमार तो होती हूं पर मरती नहीं!-
हम उनसे बात करने को,
आज भी तड़पते हैं!
बड़े नासमझ हैं वो,
बस यही बात ही नहीं समझते हैं!-
हे स्वामिनी जु......
अब जब यहां कोई नहीं रहा अपना कहने को, तो तुम ही अपनालो ना किशोरी!
अब जब कोई नहीं आ रहा,
तो तुम ही थाम लो ना किशोरी!
अब जब कोई मेरी सुनना ही नहीं चाहता,
तो मुझे मौन प्रदान करो ना किशोरी!
अब जब किसी के पास मेरे लिए समय नहीं रहा, तो मुझे अपना आंचल थमाओ ना किशोरी!
अब जब सब नाते बिखर से रहे हैं, अब तो इस जंजाल से निकालो ना किशोरी!
अब जब ये जोगन दासी इतना पुकार ही रही हैं, तो अपनी कृपा बरसाओ ना किशोरी!
अब अपनी जान, नेक मेरी ओर निहारो किशोरी, उबारो किशोरी!
इस दासी को अब ब्रज में डारो किशोरी!
काम क्रोध मोह लोभ अहम पर अब तो अंकुश लगाओ किशोरी!
क्षण भर भी ना भूलूं तोहे,
यूं गति मति अब ना बिसराओ किशोरी!
तजी हूं अब तेरी विरह में,
अब तो हाथ पकड़ ले जाओ किशोरी!-
अकेलापन सिर्फ वो नहीं,
जब आप के साथ कोई ना हो!!
आपके खुद का भी आपके साथ ना होना,
आपको अंदर ही अंदर खत्म कर देता है!-