फिर मुड़ कर नहीं देखा मैंने
ना जाने अब वो कैसी दिखती होगी
कभी गढ़ती थी मेरा नाम अपने हाथो पर
ना जाने अब किसकी किस्मत लिखती होगी-
||ENGINEER BY PROFESSION||
||WRITER BY PASSION||
|जय श्री कृष्णा|
मेरी कलम किसी की मोह... read more
आसान नहीं रहा होगा यहाँ तक आना
ना जाने इस दिल ने क्या क्या सहा होगा
ये सफ़र तुझे पाने की दुआओं से लेकर
तुझे भूलने की दुआओं तक का रहा होगा-
वक्त बदल गया शहर बदल गए
हम बदल गए और तुम बदल गए
फिर एक रोज़ जागे और पाया कि
तुम निकल गए और हम संभल गए-
समंदर सी गहरी, सूरज सा तेज, संध्या सी भूरी
चंद पल भी ना सह सकें जिनसे दूरी
नज़र ऐसी की नज़र हटायी ना जाए
दिल में छपी ऐसे की मिटायी ना जाए
पल भर में आबादी से बर्बादी तक ले जाए
बयां करते करते एक रात एक दिन
एक साल एक उमर भी कम पड़ जाए
👁️👁️-
घर बस जाएगा यहाँ मगर घर जाने का ख्याल ना रुकेगा
उमर भर की जद्दोजहत एक वाक्य कैसे ब्याँ कर सकेगा-
अक्सर बदल लेता हूँ रास्ता हुस्न-ए-शबाब देखकर
क्यूँकि जगह दिल में हम फिर से बना ना सके
वो तो बहुत आसानी से ग़ैरों के हो गये
और हम आज तक किसी को अपना ना सके-
मुझे लगा था उसका मिलना मात्र एक इत्तेफाक है
मगर बाद में समझ आया मेरे बुरे कर्मों की बद्दुआ थी वो-
मिज़ाज आज फिर से शायराना हुआ
काग़ज़ कलम फिर से एक बहाना हुआ
हर पल खबर रहती थी जिन्हें हमारी
हुए गुफ़्तगू उनसे आज एक ज़माना हुआ-
मिलें हैं घाव किस किस से
वो जुबानी फिर कभी
इस सफर ने क्या क्या छीना
वो कहानी फिर कभी-