मत पूछो की तुम मेरे लिए क्या हो
और तुम्हारा साथ मुझे कैसा लगता है
यूँ तो उम्र भर बहुत कुछ खोया मैंने मगर
तुम्हें पा कर अब ख़ुद को पाने जैसा लगता है-
||ENGINEER BY PROFESSION||
||WRITER BY PASSION||
|जय श्री कृष्णा|
मेरी कलम किसी की मोह... read more
अब वो आँगन कहाँ और वो आशियाना कहाँ
बिजली जाने के बाद चौराहे पर वो आना कहाँ
यूँ तो कुछ बन कर घर जाना भी देख लिया
मगर बचपन का वो स्कूल से लौट कर आना कहाँ-
फिर मुड़ कर नहीं देखा मैंने
ना जाने अब वो कैसी दिखती होगी
कभी गढ़ती थी मेरा नाम अपने हाथो पर
ना जाने अब किसकी किस्मत लिखती होगी-
आसान नहीं रहा होगा यहाँ तक आना
ना जाने इस दिल ने क्या क्या सहा होगा
ये सफ़र तुझे पाने की दुआओं से लेकर
तुझे भूलने की दुआओं तक का रहा होगा-
वक्त बदल गया शहर बदल गए
हम बदल गए और तुम बदल गए
फिर एक रोज़ जागे और पाया कि
तुम निकल गए और हम संभल गए-
समंदर सी गहरी, सूरज सा तेज, संध्या सी भूरी
चंद पल भी ना सह सकें जिनसे दूरी
नज़र ऐसी की नज़र हटायी ना जाए
दिल में छपी ऐसे की मिटायी ना जाए
पल भर में आबादी से बर्बादी तक ले जाए
बयां करते करते एक रात एक दिन
एक साल एक उमर भी कम पड़ जाए
👁️👁️-
घर बस जाएगा यहाँ मगर घर जाने का ख्याल ना रुकेगा
उमर भर की जद्दोजहत एक वाक्य कैसे ब्याँ कर सकेगा-
अक्सर बदल लेता हूँ रास्ता हुस्न-ए-शबाब देखकर
क्यूँकि जगह दिल में हम फिर से बना ना सके
वो तो बहुत आसानी से ग़ैरों के हो गये
और हम आज तक किसी को अपना ना सके-
मुझे लगा था उसका मिलना मात्र एक इत्तेफाक है
मगर बाद में समझ आया मेरे बुरे कर्मों की बद्दुआ थी वो-