जीवन अर्थ विहीन लगे
किसी प्रश्न का जब उत्तर ही न मिले
सृष्टि और मन जब मौन हो जाये
तब मात्र ईश्वर ही हर प्रश्न का
सबसे सटीक उत्तर होता है!!
#राधिका_अलबेली-
जीवन
बहुत आशाएं हैं तुझसे
अंत तब होता है आशाओं का
जब जीवन का अंत होता है
कहीं न कहीं लेश मात्र रह जाता है
मन में
भयभीत रहता है कि चोटिल न
हो जाये अहं
होकर आहत नैनो से अहं बहता है
सृष्टि रचियता नित नई कथा गढ़ने को
हम में कभी भर देता है प्रेम
कभी अहं जाग्रत कर देता है
दोषी हम बन जाते हैं और
उसकी कथा का ग्रन्थ बनता है
इतने बड़े संसार में मेरा ईष्ट
मुझे देख न पाता है
किंतु मेरा मन मुझे निर्रथक
सांत्वना दे जाता है
जानते हुए कि एक दिन प्राण
निकलने के बाद होकर विलीन ईष्ट में
मनुष्य भी भगवन्त होता है!
#राधिका_अलबेली-
मेरे हमराही मेरे हमसफ़र
करते हो जैसे अब प्यार हमसे
यूं ही करते रहना उम्र भर
जीवन की अपूर्णता को तुमने पूर्ण कर
सम्पूर्ण किया सारे जग की खुशियां देकर
प्राणों के नाथ स्वामी मेरे
जीवन के आधार तुम्हीं हो मेरे
प्रेम देकर सहिर्दय मुझ नासमझ को
चरणों में लगाये रखना
मुझ अबोध से त्रुटि हों जो
उन्हें क्षमा कर निष्ठा का पाठ पढ़ाते रहना
मेरी हर प्रथम इच्छा से अंतिम इच्छा तक
तुम्हारे निश्छल प्रेम में सलंग्न रहना है
देकर मर्यादा की शिक्षा मुझे,
कुल का मान बढ़ाना
मेरी माँग के सिंदूर ,मेरे माथे की बिंदी
मेरी चूड़ी की खनखन ,मेरे महावर की चमक
तुम यूं ही चमकाए रखना
मेरे गौरीशंकर प्रभूवर!!
#राधिका_अलबेली-
करूँ मैं प्रेम तुमसे
तुम मुझसे अनंत प्रेम निभाना!
धारण करूँ मैं तुमको मन मस्तिष्क में
तुम मुझे रग रग में बसाना!
मेरा संसार तुम हो
तुम भी मुझमें अपना संसार बसाना!
मेरे प्रेम की पराकाष्ठा होगी क्या
ये मुझे तुम मेरे अंत समय में बताना!
जानती हूं समय का चक्र बहुत कुप्रभावी है
ये समुंदर में गोते खिलवायेगा
मेरे प्राणों के नाथ ,
विनती है तुमसे कहीं बहक न जाना
मेरी विनय में शामिल है इक और प्रार्थना
विदा संसार से लूं मैं तो तुम,
मेरी माँग सिंदूरी सजा कर लाल चुनरिया उढ़ाना!
तब जाकर सार्थक होगा मेरा इस जग में आना !
मेरे प्रिय मेरे जीवनसाथी बस ये वचन निभाना!
मेरी प्रार्थनाऐं चरणों में रखी हैं तुम्हारे
सदैव इनपर कृपा भरी दृष्टि रखते जाना!
करूँ मैं प्रेम तुमसे
तुम मुझसे अनंत प्रेम निभाना!!
#राधिका_अलबेली-
लगता रहा मुझे अपना सा हर 'क्षण'
देकर समय , समर्पण औरों को
हर 'क्षण 'मेरा ,मुझसे पराया हुआ!!
#राधिका_अलबेली-
जिंदगी हो कर बूढ़ी इक दिन
निकल जायेगी सांसो के रास्ते
लेकिन जीने का हुनर तब भी
फीका पड़ जायेगा
ये जिंदगी है
हर पल नया रंग बदलती है
कितना सीख सकोगे जिंदगी जीने
का हुनर!!
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जहां से निकले थे युगों पहले
प्रकृति ने घुमा फिरा कर
फिर वहीं ला खड़ा किया!!-
परिवार की मुस्कुराहट के लिए
संघर्षों से भरे जीवन को,
तराजू की
तरह सन्तुलन स्थापित करता पुरूष!!
आधुनिक युग की कसौटियों पे खरा
उतरने को अग्रसर पुरुष!!
दुर्जनों के बीच भयभीत सज्जन पुरुष
नारी अपूर्ण है पुरुष बिन
अपूर्ण हो कर भी पूर्ण है पुरुष!!
#राधिका_अलबेली
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खाना बना दिया
झाड़ू लगा दी
पौंछा भी लगा दिया
कहो तुम तो !चाय भी बना जाऊं
देर हो रही है मायके जाने में जी 😇
और बताओ !दिमाग खराब कर जाऊं😂😂
#राधिका_अलबेली
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