"किरदार जीया करते हैं
किरदार मरा करते हैं
किरदार ज़िंदगी के क़िस्सों में
किरायेदार हुआ करते हैं"
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हमने उन्हें अपने मकां का मालिक क्या बनाया
मुर्शद
उन्होंने सबको हमें अपना किराएदार बताया है-
हम बेखबर नही की आपने दिल मे जगह नही रसीद की है
पर हम तो ठहरे आशिक़ बद्तमीज़
तो चर्चे तो होंगे ही इस गुलिस्तां मे हमारे इश्क़ के💖💞💫-
तुझे न मिलने की फ़ुरसत है मुझसे,
नये किरायेदार जो मिल गया है
तू फिक्र न कर ये धुआ है सब बह जायेगा,
वक़्त की साज़िश है सब, ये मेहमां है
नये रिश्तेदार मिलते ही चंद लम्हों मे कहीं ओर
किसी नये मकान की तरफ निकल जायेगा...
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किराये पे हम है किराये का घर है
किराये की दुनिया किराये की खुशियां
किराये पे आना किराये पे जाना है
माटी का मानुष किराये का कंधा
किराये के रिश्ते किराये की माया
किराये के जाल में इंसानी मछली
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जिदंगी से परेशान नही हूं मै ,
मौत के रथ पर सवार हूं मै...
ये जो जिंदगी है वो मेरी नही है ,
दुनिया के हाथ की कटपुतली ओर जहां का किराऐदार हूं मैं ।।-
किरायेदार
थे तो वो सिर्फ कुछ दिनों के लिए किरायेदार
पर छोटे से दिल मे घर बना कर चले गए।
छोटी छोटी बातें याद आती है अक्सर
वो तो यादो का महल सजा कर चले गए
तब तो था सिर्फ खतो का जमाना
वो तो मिलने की सारी उम्मीदे मिटा कर चले गए-
मैं शौख शायरी का रखता हूं,कोई शायर थोड़ी हूं,
लिहाज़ करता हूं तुम्हारा,कायर थोड़ी हूं।
नाराज हो मुझसे,पर दिल से निकाल थोड़ी ना पाओगे,
हकदार है इस दिल के हम,कोई किरायेदार थोड़ी हूं।
रिश्तों को बचाने में कुछ बाते नजर अंदाज कर जाते है,
समझदार हूं,कोई लाचार थोड़ी हूं।
जरूरत पड़ने पर काम आऊंगा,
जो समझते हो तुम मुझे,उतना बेकार थोड़ी हूं।
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उसके दिल का मैं मिलकियत समझ बैठा था
फिर वक्त ने बता दिया की किरायेदार थे हम
उसने थोड़ी कहा था कि सब कुछ न्योछावर कर दो
इन सब हादसों के खुद ही जिम्मेदार थे हम-