देखो ना मैं कितनी झूठी......!
देखो...... ना मैं कितनी झूठी!!!
अधरों पर ही,
चतुराई से....
मुस्काई मैं जब भी टूटी.......!
देखो ना मैं कितनी झूठी.......!!!
प्रेम भरे,
चन्दन की डिबिया में रहती हूं...
उतरा हुआ इत्र...
मैं नारायण की जूठी.......!
देखो ना मैं कितनी झूठी.....!!-
वो ख़ुद कहकर मुकर गए,
गुस्से के अपने शब्दों को भूल गए,
आज मुश्किल हो गया उनके लिए,
शब्दों का चुनाव कर पाना,
शायद ग़ुस्से में किसी अपने ने,
आज उनके ही शब्द...उनसें कह दिए।-
तुम भले ही रौंद दो फूलो को,
नोच लो पत्तों को,
उखाड़ फेंको पेड़ो को,
काट दो उसकी टहनियां,
पूरी धरती को ही कर दो बंजर,
पर "बसंत" को आने से कैसे रोकोगे..!!!!-
कितनी बार छोड़ जाओगी?
मन पहले भी था गुलजार, होता अभी भी है इंतेज़ार।
काटे नहीं कटते ये लम्हें बेजार।
उलझा के खुद को यूं, उलझन कब तक सुलझाओगी?
कितनी बार छोड़ जाओगी?
मर्द हूं मर्यादा भी हूं जानता, रूढ़ हूं पर रूढ़िवादिता नहीं मानता।
जकड़ के खुद को इन रूढ़ियों में,
मर्यादित होना तुम मुझे सिखाओगी?
कितनी बार छोड़ जाओगी?
न कोई पराया न कोई है अपना, ये तो है बस एक कोरी कल्पना।
जो थाम ले हांथ असीम वेदनाओं में,
बस वही होता है सच्चा अपना।
बिसरा के यूं इस अपने को, सुकून भरी नींद सो पाओगी?
कितनी बार छोड़ जाओगी??-
एक लड़का
आखिर कितनी
बार छला जाए !!
डगर डगर पर
छलने वाले
कितनी बार
टला जाए !!
सागर
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चलो मान लिया,
तुम मुझसे नफरत करती हो,
एक बार तुम भी मान लो,
मैं तुमसे प्यार करता हूं....-
प्यार यकीन दिलाने वाले चीज नहीं है पागल
यह तो एक एहसास होती है जो अन्दर से होती है।
जिस दिन मेरा दिल-दिमाग, मेरा तन - मन तुम्हारे लिए कुर्बान होने लगे न उस दिन यकीन हो जायेगी कि तुम्हें मुझसे मोहब्बत है और मेरा दिल-दिमाग, तन मन तुम्हारे सच्चे मोहब्बत के लिए कुर्बान होने को तैयार है।-
चढ़ा आया है मंदिर में, दूध दही ।
घर का एक सदस्य मगर, आज भी भूखा ही सोया है।।-