बन जाओ तुम गीत मेरे, मैं संगीत से सजाऊं
बन गीतों की रागिनी तुम, चले साथ जो मेरे
लयबद्ध हुआ जीवन, बस तुम्हें ही गुनगुनाऊं
बन जाओ तुम गीत मेरे, मैं संगीत से सजाऊं
मन चंचल, करता विचरण शब्दों के गगन में
है बस में कहां ये, रहता सरगम की भजन में
कारीगरी सरगम से बना संगीत तुम्हें सुनाऊं
बन जाओ तुम गीत मेरे, मैं संगीत से सजाऊं
करूं साधना मैं रागों की, तुम रागिनी बन आना
पर्याप्त नहीं है पूरक होना, समपूरक बन जाना
कभी कोमल कभी तीव्र स्वरों से यूं तुम्हें रिझाऊं
बन जाओ तुम गीत मेरे, मैं संगीत से सजाऊं
स्पंदित होती श्रवण संवेदना, मधुर तुम्हारे गीतों से
तरंगित होती मन की तृष्णा, उर्वर अंकुर प्रीतों से
बन जाना तुम साज स्वरों की, मैं साजिंदा कहलाऊं
बन जाओ तुम गीत मेरे, मैं संगीत से सजाऊं
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