Darkened by betrayal and hatred of the world, my heart found light in You
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डूब गई कागज़ की वो कश्तियां, सजाती थी जो कभी गली मोहल्ले।
बरखा भी तरस जाती है अब तो, नन्हें हाथों के स्पर्श को जैसे।।
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छूट ही जाएगा कुछ न कुछ, भाग लो चाहे जितना।
अरमान सभी पूरे कर दे, ज़िन्दगी का ये उसूल नहीं।।-
वो उम्दा मुस्कान उसकी, दिल के सारे ज़ख्म भर जाती है।
किस्से कहानियों में पढ़ी मोहब्बत जैसे ज़िंदा हो जाती है।।-
होंसला लिए उड़ते हैं अपने पंखों पर
हम वो परिंदे हैं जिसने तूफान कई देखें हैं-
ना द्वेष छोड़ पाया, ना अहम छोड़ पाया,
इंसान जो था बेचारा, सिर्फ ईमान छोड़ पाया!-
कुछ इस तरह मैं उसकी बंदगी किया करता हूँ,
उसके बनाए इंसानो से इश्क़ किया करता हूँ।
हो जाती है गलती ना चाहते हुए भी,
गुनाहों की माफ़ी मांग लिया करता हूँ।
लेन देन का व्यापार है दुनियादारी तो,
खुशी दे खुशियाँ बटोर लिया करता हूँ।
ना गीता पढ़ी है ना कुरान,
खुश रहने को रोज़ मगर, ज़िन्दगी पढ़ लिया करता हूँ।।
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चढ़ा आया है मंदिर में, दूध दही ।
घर का एक सदस्य मगर, आज भी भूखा ही सोया है।।-
वक़्त से बेहतर कोई आईना नहीं होता।
सूरत ही नहीं सबकी असली सीरत भी दिखा जाता है ये।।-