KAASH HUMM ABB BEHRE BANN JAAYE
PYAAR ME SHURUWAAT ACHCHI BAATO SE HOTI HAI
ANT ME EK DUSRE KI KHULEAAM BURAYI NIKALTI HAI-
पर्ण- पुष्प रंग - रूप सब त्याग के
सादगी ओढ़ लिया है शरद ने,
जैसे रंग ,श्रृंगार, अलंकार
चरम पर होते हैं मधुमास में ,
आज शीर्ष पर शुचिता आसीन है।
सचमुच सादगी भी एक श्रृंगार है।।।
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कास मै भ्रमर होता,
और
तुम सौंदर्य युक्त कुसुम होती
फिर रोज तुझे मिलने आता
प्रतिदिन तुझ संग हँसता गाता
तुम मुझमे ही खोयी रहती
मै भी तुझमे खोता जाता
परवाह नहीं किसी की होती
गर तुम मेरी अपनी होती
दुनिया कितनी रंगी होती
गर तुम मेरी अपनी होती
कास मै भ्रमर होता
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याद आ रही है..
कास मिल जाओ..
और दिख जाओ कही तुम..
कास हमारी एक मुलाकात हो..
जिसमे हम..
हर उस सबाल को पूछ सके..
जिसका जबाब अभी तक..
तुमने दिया नही..
कास मिल जाओ कही तुम....-
आज भी कुछ यादों का सिलसिला ज़ारी है
मेरी निराशा भरी उम्मीदों में
एक आशा भरी किरण बाकी है।
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