मातृभूमि का मान लिए उग्र रुद्र को देखा है
हर सेनानी में इस जग ने वीरभद्र को देखा है।।
नमन तुम्हें मेरा मृत्युंजय, मर कर अमर रहे हो
वज्रघात करते अरि ने कुपित इंद्र को देखा है।।
करबद्ध प्रणाम तुम्हें मेरा, अद्भुत वीर रहे हो
शांत हृदय में अग्नि लिए तपे चंद्र को देखा है।।
देशप्रेम में प्राण दिए, अनुपम ख्याति तुम्हारी है
तुममें जग ने लिए पिनाक राघवेंद्र को देखा है।।
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