प्रेम में,प्राण में ध्यान में तुम, डूबती सांझ,घनेरी रात और उगते विहान में तुम। हर रंग में,हर रुप में, कण-कण में बसे स्वरूप में तुम। तुम आदि में,तुम अनन्त में तुम उत्थान, संहार में तुम। तुम मिलन में ,तुम बिछोह में प्राणियों के उद्धार में तुम। चेतना में,अनुभूति में निश्छल भावों की अभिव्यक्ति में तुम, तुम पीड़ा में,तुम भक्ति में, नश्वर देह की मुक्ति में तुम।
वो लाल रंग खून का हजारों गुलाबों से ज्यादा कीमती था, जो बह गया सड़क पर, मिटा कर कई जानें देश की ख़ातिर, कुछ कुलदीपक बुझ गए अपने घरों के, कई जिन्दगियां वीरान कर गए जो छूट गई थी पीछे वो चिथड़े बदन जब लौटे तिरंगे में लिपट कर अपने घर हर आँख नम थी,और थी प्रतिशोध की ज्वाला भी वतन के लिए,जो मर मिटे था उनका सर्वोच्च ये बलिदान जिसका असम्भव है कोई प्रतिदान।
सदियों का छाया अंधकार हटा मिला नव सूरज ओ' नवतंत्र निज धरा पर पर हुए स्वतंत्र जब बना अपना देश गणतंत्र।
सहिष्णुता और सर्वधर्म सद्भाव, जन गण मन अधिनायक का भाव अनेकता में एकता का सूत्र हमारा देते सबको आदर सबको समभाव।
उत्तर से दक्षिण पूरब से पश्चिम तक जाने कितनी बोली कितने राग हर रूप में खिलती,हर रंग में सजती सुदृढ़ संस्कृति हमारी सबसे खास।
आसमान से लेकर धरा तक हमने लहराया हर ओर परचम अपना विक्रांत,तेजस,ब्रह्मोस गर्व हमारा सीमाओं पे चौकस हर प्रहरी अपना।
दृढ़प्रतिज्ञ हम तिरंगा न झुकने देंगे हर दुश्मन को हम प्रतुयत्तर देंगे न देंगे एक इंच भी जमीं अपनी जो घुसा सीमा में जबरन, उसे खदेड़ेगें। गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं🙏🇮🇳🙏 Kruti✍️❤️