जाट साहब   (जाट साहब)
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Joined 21 June 2017


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Joined 21 June 2017
23 FEB 2022 AT 20:56

इक तारीख़ मुक़र्रर पे तू
हर माह मिले,
जैसे दफ़्तर में
किसी शक़्स को
तनख़वाह मिले...

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7 FEB 2022 AT 10:48

kunj-e-zindan m
paḌa sochta hun
kitnā dilchasp nazāra hogā

ye salāḳhoñ meñ
chamaktā huā chāñd
tere āñgan meñ bhī niklā hogā

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14 AUG 2021 AT 15:48

बताओ अब क्या सज़ा दोगे मुझे ?
ग़ुस्ताख़ आँखों ने फिर तुम्हारे ख़्वाब देखे है

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27 NOV 2020 AT 14:22

यादों का कम्बल भला कब तक ओढ़े कोई
एक ना एक दिन मौसम बदल ही जाना है

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25 NOV 2020 AT 18:00

सुनो
अब लौटकर मत आना

मर गया वो
जो तुम पे मरता था

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20 NOV 2020 AT 9:50

फ़ोन में
कुछ नम्बर ऐसे भी होते है,

जो ना तो कभी ड़ाइल होते है
और ना ही डिलीट होते है !

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19 OCT 2020 AT 19:22

यादों की चादर
भला कब तक ओड़े कोई

एक ना एक दिन
मौसम बदल ही जाएगा

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10 SEP 2020 AT 6:00

ख़ुदा का शुक्र है
कि उसने ख़्वाब बना दिए

वरना
तुम्हें देखने की हसरत रह ही जाती

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6 SEP 2020 AT 9:43

तुम्हारे हिस्से के लम्हे
बचा के रखे है मैंने


जब शहर खुलेगा तब साथ बिताएँगे

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17 AUG 2020 AT 15:17

गुमसुम से हो गये हैं
आजकल
सारे अल्फ़ाज मेरे....,

लगता है किसी
चाहने वाले ने
इन्हें पढ़ना छोड दिया!

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