सुनिए कान्हा जी आप ये मत सोचिएगा की हम याद नहीं करते आपको हमारी रात की आख़िरी और सुबह की पेहली बोली है आप॥
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छोटे से कान्हा संग बछेङा लाड लङावें..
नन्हें-नन्हें हाथों से माखन खुआवे..
देख-देख दिल मेरा शोर मचावे..
ऐसी लीला कान्हा हर रोज रचावे..
प्रेम ही प्रेम हैं हर इक अंश में..
जब भी जतावे बेशुमार जतावे..-
हे कान्हा
हजारों दफा ली हैं,
तुमने मेरी परीक्षायें
कभी सुना हैं तुमने
नाम किसी और का
मेरी आहों में अपने सिवा
❤❤❤❤❤❤-
कान्हा” जी
धीरे-धीरे कान्हा,” दिल में बसते ही गए।
मेरे मन के गिले-शिकवे सारे घटते ही गए।
इस क्षणभंगुर दुनिया से हम कटते ही गए।
मोहपाश के पर्दे भी कुछ हटते ही गए।
तेर- मेर से ऊपर हम उठते ही गए।
नाम, भजन सुमरिन अंदर बसते ही गए।
भूल हुई जो दुनिया में हम फँसते ही गए।
नाम तेरा जो लिया तुझमें रमते ही गए।
मेरे इस जीवन का सबब,तुम बनते ही गए।
बस तुमको पाना है, तलब तुम बनते ही गए।
राधे कृष्णा🙏🌹
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मुझे नहीं पता कान्हा सही...
क्या हैं गलत क्या हैं..!!
बस मन के जीते जीत हैं...
मन के हारे हार हैं..!!-
मेरे प्रतिबिम्ब में तुम नज़र आते हो प्रिय,
मेरे अंतर्मन को तुम संवार जाते हो प्रिय।।
छवि तेरी न्यारी, देखूं पल पल में तुम्हे कान्हा,
अटखेलियों से तुम भी मुझे, निहार जाते हो प्रिय।।
मन की आंखों से देखूं, या समक्ष मिल जाओ मुझे कहीं,
फिर दूर चुपके से ही क्यों तुम,पुकार जाते हो प्रिय।।।
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हमारी आस्था की
परीक्षा तब होती है,
हम जो चाहे वो न भी मिले
और फिर भी हमारे दिल से
ईश्वर के लिये धन्यवाद ही निकले..🙏-
कान्हा! ना जाओ हमसे दूर तुम
मेरा वजूद खत्म होने को हैं,
आस सभी तुमसे ही हैं;
मेरी आस खत्म होने को हैं।-
मधुर प्रेम धुन कान्हा बाँसुरिया
ज्यों-ज्यों बाजति है,
मन -तन बन मयूर
त्यों-त्यों नाचति है ,
बिछुड़न की अब
सुधि मोहे नाहि
क्षण-क्षण मोहन अब
तनिक नहि बिसरति है ।-
॥जय श्री कृष्णा जी ॥
अक्सर लोग मुझे कहते हैँ,
तुम पलके झुकाकर क्युँ बात करती हो?
अब उनसे क्या कहेँ?
की इन पलकोँ के उठने से ही,
तो बहुत कुछ होता है..............॥
अक्सर ऐसी शक्तियाँ बुराईयोँ मे होती हैँ।
तभी तो लोग बुराईयोँ की ओर जल्द ही आकर्षित
हो जाते हैँ।
और शायद यही कारण है,
की हमारे कान्हाजी को मारने जितने भी दैत्य
आए!
उन्होने किसी की निगाहोँ मेँ नही देखा।
क्यूँ कि वे भी जानते थे, की
ये बुराईयाँ हमे गुमराह करती हैँ।
पथप्रदर्षित करती है।
ये रही मेरे हम उम्र वालोँ की बात।
और बडोँ के सामने पलके इसलिए नही उठाते,
क्यूँ की उनके लिए ये मेरा सम्मान दर्शाता है।
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